इस तरह करें टैक्स प्लानिंग

जनवरी आ गया है। लोगों को अब यह चिंता सताने लगी है कि किस तरह की टैक्स प्लानिंग की जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाया जा सके। भाग दौड़ जारी है। विभिन्न कंपनियों के कर्मचारी बेहतर टैक्स प्लानिंग का फंडा बताने के दावा करते हुए इर्दगिर्द चक्कर लगाने लगे हैं। टैक्स बेनिफीट के लिए प्रूफ क्लेक्ट करने का काम भी जोरो पर है।

वित्त वर्ष 2010-11 का आयकर स्लैब

कुल सकल आय कर में छूट
1,60,000 -
1,60,000 से 5,00,000 तक20 प्रतिशत
8,00,001 से ऊपर 30 प्रतिशत

टैक्स प्लानिंग करते समय आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप खुद भी आसानी से काफी मात्रा में टैक्स बचा सकते हैं। आपके पोर्टफोलियों का निर्धारण ओवरऑल संपत्ति के आधार पर होता है। टैक्स बचाने के दो ही आसान रास्ते आपके पास है। पहला डेब्ट और दूसरा इक्विटी।

टैक्स प्लानिंग को धारा 80 सी में मिलने वाली छूट और इससे अलग मिलने वाली छूट के रूप में, दो भागों में बाँटा जा सकता है।

1) 80 सी में मिलने वाली छूट : इस धारा के अंतगर्त कुछ क्षेत्रों में किए गए निवेश या खर्च की कुल रकम के बराबर छूट सकल कुल आय में मिल जाती है। अर्थात 80 सी को दो भागों में बाँटा जा सकता है। पहला निवेश के आधार पर और दूसरा गैर निवेश के आधार पर।

निवेश के आधार पर : आपके द्वारा किया गया निवेश यह तय करता है कि आपको टैक्स में कितनी छूट मिलना चाहिए। टैक्स बचाने के लिए निवेश करने से पहले निम्न बातों के बारे में सोचिए:
* तरलता
* जोखिम और रिटर्न
* महँगाई से सुरक्षा
80 सी के तहत आप अधिकतम 1 लाख रुपए तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं। एलआईसी, यूलिप, पेंशन प्लान, पाँच साल के लिए बैंक एफडी, ईएलएसएस, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में आदि में निवेश किए गए पैसे पर आप टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं।

यदि आप नौकरी कर रहे हैं तो आपके वेतन में से 12 प्रतिशत राशि सरकार या आपकी कंपनी द्वारा काटी जाती है। इस राशि को 1 लाख रुपए में से घटाकर यह पता लगाया जा सकता है कि कितनी राशि को आप अब इस अधिनियम के अंर्तगत बचा सकते हैं।

अब आप यह तय कर सकते हैं कि कितना पैसा डेब्ट और इक्विटी में लगाना है। यदि आप अपने पैसे को इक्विटी में लगाना चाहते हैं तो इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम को चुना जा सकता है। यह डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड है, जो 80 सी के अंतर्गत कर में छूट दिलाता है।

गैर निवेश के आधार पर : दो बच्चों की शिक्षा पर ट्यूशन फीस के तहत खर्च की गई राशि पर आपको 80 सी के अंतर्गत छूट मिलती है। यदि आपने मकान बनाने के लिए लोन लिया है तो उसके मूलधन पर छूट मिलती है।

2) 80 सी के अतिरिक्त मिलने वाली छूट : ऐसे व्यक्ति जिनकी कुल आय 2,60,000 से ज्यादा है, के लिए 80 सी के तहत मिलने वाली कर छूट पर्याप्त नहीं है। इस स्थिति में भी आयकर विभाग टैक्स प्रदाता को निम्न तरह से छूट प्रदान करता है।

स्वास्थ्य बीमा : यदि आप अपने और परिवार के लिए 15 हजार रुपए तक का मेडिक्लेम लेते हैं तो उस पर आपको 80 डी के तहत छूट मिलती है। माता-पिता के लिए मेडिक्लेम पर भी अतिरिक्त 15 हजार रुपए तक की छूट ली जा सकती है। सीनियर सिटीजन को भी इस मद में 20 हजार तक की छूट प्राप्त है।

एजुकेशन लोन : यदि आपने स्वयं या बच्चों की शिक्षा के लिए लोन ले रखा है तो उस पर दिए गए ब्याज को भी कुल आय में से घटाए। यह छूट आयकर विभाग की धारा 8 ई के तहत मिलती है।

दान पर छूट : यदि आप दानदाता है तो टैक्स भरते समय इसका भी लाभ लिया जा सकता है। 80 जी के तहत अपनी कुल आय का 10 प्रतिशत तक दान कर उस पर 50 प्रतिशत या 100 प्रतिशत छूट प्राप्त की जा सकती है। इसमेशर्ि दारजिर्स्टसंस्थचैरिटलिदियगयहो

होम लोन : मकान बनाने के लिए प्राप्त लोन पर तो 80 सी के तहत छूट मिल जाती है, लेकिन उस पर दिए जा रहे ब्याज को सेक्शन 24 के तहत छूट प्राप्त है। यह छूट आप डेढ़ लाख रुपए सालाना तक के ब्याज पर स्वयं के मकान पर ले सकते हैं।

डिसेबल पर किया गया खर्च : यदि आपके परिवार का कोई सदस्य डिसेबल है 80 डीडी के तहत तो उस पर किया गया 50 हजार रुपए तक का खर्च कुल सकल आय में से घटाया जाना चाहिए। यदि डिसेबिलीटी ज्यादा है तो 1 लाख रुपए तक छूट प्राप्त की जा सकती है।

धारा 80 सीसीएफ के तहत आप 20 हजार रुपए इंफ्रास्ट्रचर बांड में निवेश कर उस पर छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह सभी छूट धारा 80 सी के अतिरिक्त है।

इस तरह आप आसानी से अपनी टैक्स प्लानिंग कर सकते हैं। यह बेहद आसान है। इसके लिए न तो किसी टैक्स प्लानर की सहायता लेने की आवश्यकता है न ही सीए के चक्कर लगाने की। तो हो जाइए तैयार और टैक्स प्लानिंग किजीए और बचाइए जितना पैसा आप कर में छूट प्राप्त कर बचा सकते हैं। (वेबदुनियन्यूज)

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