मेटास की दो फर्मों के अधिग्रहण करने के प्रयास में शेयर धारकों की नाराजगी झेलने वाले सत्यम कम्प्यूटर्स के चैयरमैन बी रामलिंगा राजू ने बीच मझधार में छोड़कर जाने वाले अपने चार निदेशकों से नाराजगी जताई है। जहाँ एक तरफ राजू अपने नौ में से चार निदेशकों के इस तरह कंपनी का साथ छोड़कर जाने से खफा हैं, वहीं दूसरी तरफ वे अपने कर्मचारियों का समर्थन चाहते हैं। सवाल यह है कि क्या राजू 10 जनवरी को होने वाली बोर्ड बैठक में अपना पद बचा पाएँगे?
महत्वपूर्ण डाटा चोरी के आरोप में वर्ल्ड बैंक का प्रतिबंध लगने के बाद मेटास अधिग्रहण विवाद और फिर निदेशकों के इस्तीफे की खबरों से सत्यम की साख को बट्टा लगा है। 23 दिसंबर को विश्वबैंक के प्रतिबंध को मेटास इंफ्रा और मेटास प्रोपर्टी के अधिग्रहण विवाद से सत्मय के शेयरों को काफी नुकसान हुआ है। आम निवेशक फिलहाल सत्यम के शेयरों पर अधिक विचार नहीं कर रहा है, हालाँकि इस हफ्ते सत्यम के शेयरों में अपेक्षाकृत सुधार भी हुआ है, लेकिन इसमें पूर्ववत स्थिति नहीं है। सत्यम के ज्यादातर निवेशक मुनाफा वसूली का मौका तलाश रहे हैं।
कंपनी पहले ही स्वीकार कर चुकी है कि प्रमोटरों ने रीयल एस्टेट खरीदने के लिए अपने शेयर संस्थागत कर्जदाताओं के पास गिरवी रखे हुए हैं, जिन्हें वे बेच सकते हैं। राजू सत्यम की साख बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम आने की आशा वे कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कई समझौते करने होंगे।
राजू ने अपने कर्मचारियों का सहयोग माँगते हुए कहा कि सत्यम को पटरी पर लाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है और यह आपकी मदद के बिना नहीं किया जा सकता। राजू का अपने कर्मचारियों को पत्र लिखने के पीछे मकसद यह है कि वे अपने कर्मचारियों को संदेश देना चाहते हैं कि इतनी उथल-पुथल के बावजूद वे सत्यम में विश्वास रखें और उनका साथ दें।
ऐसा नहीं है कि सत्यम की साख बचाने में राजू अकेले हैं। उनके साथ अभी अन्य निदेशक और सत्यम के कर्मचारी खड़े हैं और 10 जनवरी को होने वाली बोर्ड की बैठक में वे आगे की रणनीति, विकल्प, कंपनी का आकार और बोर्ड में नए लोगों पर विचार करेंगे। हालाँकि बोर्ड की यह बैठक दिसंबर के अंतिम सप्ताह में होनी थी, लेकिन सत्यम एक के बाद एक इतनी परेशानियों में घिर गया है कि उसे खुद को बचाने के लिए अपनी रणनीति में बार-बार बदलाव करने पड़े।
विश्व बैंक के प्रतिबंध और मेटास अधिग्रहण विवाद पर राजू काबू पाने की रणनीति बना ही चुके थे और इसका असर भी दिख रहा था, लेकिन उन्हें तब गहरा धक्का लगा जब उनके बोर्ड से एक-एक करके चार निदेशकों ने इस्तीफा दे दिया। मेटास अधिग्रहण विवाद फिर गहरा गया है और हो सकता है यह सत्यम में बड़े बदलाव का कारण बने।
राजू अपने विश्वासपात्रों के साथ सत्यम के लिए कई मोर्चों पर लड़ रहे हैं। एक तरफ वे निवेशकों को अपनी कंपनी में विश्वास बनाए रखने के लिए कह रहे हैं और दूसरी तरफ वे सत्यम में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली संस्थागत निवेशक अबरदीन एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) जैसे निवेशकों का विश्वास बनाए रखने का भी प्रयास कर रहे हैं। राजू फिलहाल प्रोमोटरों को यह समझाने में सफल रहे हैं कि प्रोमोटरों की हिस्सेदारी में कमी से उनका नुकसान नहीं होने देंगे। हालाँकि राजू का यह आश्वासन 10 जनवरी को होने वाली बैठक में कसौटी पर होगा।
सत्यम की तरफ से यह प्रचारित किया जा रहा है कि उसके कोष में लगभग 130 करोड डॉलर की राशि मौजूद है, लेकिन जानकार इस पर संदेह जता रहे हैं। फिलहाल सत्यम परेशानियों में घिरा हुआ है और हो सकता है कि उस पर आए संकट के बादल गहरा जाएँ। सत्यम के भविष्य को लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी और 10 जनवरी की बैठक के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी।
बाजार के सूत्रों के मुताबिक एक तरफ जहाँ ह्यूलेट पैकर्ड (एचपी) विदेश में बड़े डिलीवरी कारोबार के लिए सत्यम कंप्यूटर सर्विसेस में हिस्सेदारी खरीदने की संभावना ढूँढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ इंफोसिस, विप्रो और टीसीएस जैसी अग्रणी आईटी कंपनियाँ इसकी हिस्सेदारी को खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही हैं। इसकी वजह यह है कि सत्यम और इंफोसिस, विप्रो और टीसीएस जैसी आईटी कंपनियों के क्लाइंट और सत्मय की क्लाइंट लिस्ट एक जैसी है और जिन टेक्नोलॉजी में ये कंपनियाँ काम करती हैं, वह भी समान है।