उन्होंने बताया कि मुंबई, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, अहमदाबाद जैसे अनेक शहरों में ये आवासीय परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं और जो मकान अधूरे बने हैं। उनकी बाजार में कीमत 2 करोड़ रुपए तक है। इस कोष से उन्हें पूरा करने के लिए वित्त पोषण किया जाएगा।