सभी ज्वैलर्स अब सिर्फ 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट वाले गोल्ड की बिक्री ही कर सकेंगे। बीआईएस अप्रैल 2000 से गोल्ड हॉलमार्किंग की स्कीम चला रही है। अब तक सिर्फ 40 फीसदी ज्वैलरी की ही हॉलमार्किंग हुई है। ज्वैलर्स की सुविधा के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को ऑनलाइन और ऑटोमैटिक कर दिया गया है।
यह भी देखने में आता है कि कई ज्वेलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगाते हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं। असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। साथ ही इस पर सोने की शुद्धता भी लिखी होती है। उस पर ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है।