Gold import : सोने की बढ़ती कीमतों ने आम उपभोक्ताओं को पीली धातू से दूरी बनाने को मजबूर कर दिया है। कई मीडिया खबरों में दावा किया गया है कि भारत का सोना आयात फरवरी में पिछले साल की तुलना में 85% गिरकर गया है। यह पिछले 20 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। आइए जानते हैं कि सोना आम आदमी की पहुंच से क्यों दूर हो रहा है।
पिछले एक दशक में फरवरी में औसतन 76.5 टन सोना आयात होता था। फरवरी में आयात लगभग 15 मीट्रिक टन रहने का अनुमान, जबकि 2024 में यह 103 टन था। स्पॉट सोना सोमवार को $2,956.15 प्रति ट्रॉय औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। घरेलू बाजार में कीमत 86,592 रुपये प्रति 10 ग्राम तक चढ़ी।
सराफा व्यापारी से जुड़े संजय अग्रवाल ने बताया कि अमेरिका की मोनोपाली और ट्रंप ट्रैरिफ के डर से सोने के भाव तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोना एक सुरक्षित निवेश है और दुनिया भर के देश अपने केंद्रीय बैंकों के माध्यम से जमकर सोना खरीद रहे हैं। इस वजह से सोने के दाम आसमान पर हैं। अगर यही स्थिति 2 से 3 माह रहती है तो सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3100 से 3200 ओंस यानी भारतीय बाजार में 90,000 से 92,000 रुपए तक जा सकता है। अगर टैरिफ पर ट्रंप का रूख नरम होता है और रूस युक्रेन युद्ध समाप्त हो जाता है तो पीली धातू की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में घटकर 2600 से 2700 रुपए (भारतीय बाजार में 76,000 से 78,000 तक आ सकती है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सरकारी अधिकारियों और बैंक डीलरों के हवाले से बताया कि सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों ने मांग को ठंडा कर दिया है। यहां तक कि कुछ बैंक भारत के कस्टम्स-फ्री जोन में जमा सोना अमेरिका भेज रहे हैं, क्योंकि वहां 1% प्रीमियम मिल रहा है। हालांकि सोने के आयात में गिरावट से व्यापार घाटा कम हो सकता है। इससे गिरते रुपए में मजबूती आने की संभावना है।