यदि आप खुद का ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय जाकर आवेदन करना होगा। यह विभाग निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण करने के पश्चात न सिर्फ ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान करता है, बल्कि उसका नवीनीकरण भी करता है।
भारत में बिना गियर के दोपहिया वाहन का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की आयु कम से कम 16 वर्ष है। चूंकि ऐसा आवेदक वयस्क नहीं होता है, अत: उम्मीदवार के बाद माता-पिता या अभिभावक की सहमति की भी आवश्यकता होती है।
लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया-
लाइसेंस बनाने के लिए सबसे पहले भरा हुआ आवेदन आरटीओ में जमा करना पड़ता है।
फिर उन्हें एक सैद्धांतिक परीक्षा की तारीख प्राप्त होगी।
परीक्षा के दौरान उन्हें सड़क सुरक्षा, सड़क संकेतक के बारे में कुछ प्रश्नों का उत्तर देना होता है और ड्राइविंग से जुड़े अन्य बुनियादी सवालों के उत्तर भी देने होते हैं।
इस परीक्षा को पास करने के बाद आवेदक को लर्निंग लाइसेंस प्राप्त हो जाता है।
लर्निंग लाइसेंस प्राप्त करने के बाद आवेदक पर्यवेक्षण में वाहन चलाने के लिए पात्र होता है।
कुछ समय पश्चात वे स्थायी या पक्के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए तारीख प्राप्त करते हैं और वहां वाहन चलाकर दिखाते हैं कि वे ड्राइविंग करने में सक्षम हैं।
फिर उन्हें एक लाइसेंस पर्ची प्राप्त होती है, जिसके आधार पर उन्हें एक हफ्ते बाद आरटीओ से अपना लाइसेंस प्राप्त होता है। जो उन्हें केवल बिना गियर वाला दोपहिया वाहन चलाने की अनुमति देता है।
स्मार्ट कार्ड लाइसेंस लगभग एक हफ्ते बाद कार्यालय में प्राप्त होता है।
लाइसेंस स्मार्ट कार्ड एक चिप वाला प्लास्टिक कार्ड है, जो व्यक्ति के बारे में जानकारी और विवरण स्टोर कर सकता है।
18 साल की उम्र में लोग अपनी गियर वाली बाइक या कार लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मोटर ड्राइविंग स्कूल के माध्यम से आपको लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिलती है, जो आपको ड्राइव करना सिखाएगा, फॉर्म भरने में सहायता करेगा और ड्राइविंग परीक्षा में भी सहयोग करेगा।
इस पूरी प्रक्रिया को व्यक्तिगत रूप से भी पूरा किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आपको कतार में खड़े रहना पड़ सकता है।
लाइसेंस के लिए जरूरी टेस्ट देने के बाद आपको एक रसीद प्राप्त होती है, जिसके एक सप्ताह बाद आपको ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त हो जाता है।
ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण निर्धारित समयावधि में करवाना होता है, जो कि लाइसेंस पर अंकित होती है।
इसके लिए फिर से टेस्ट नहीं लिया जाता। हालांकि, एक चिकित्सक द्वारा स्वास्थ्य और आंखों की जांच जरूरी है, जिससे यह साबित हो कि व्यक्ति वाहन चलाने के लिए शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम है।