आईएमएफ की प्रबंध निदेशक लेगार्ड ने कहा कि जहां तक भारत का सवाल है, हमने वृद्धि दर के अनुमान को कुछ कम किया है, पर हमारा मानना है कि मध्यम से दीर्घावधि में भारत वृद्धि की राह पर है। इसकी वजह पिछले कुछ साल के दौरान भारत में किए गए संरचनात्मक सुधार हैं। लेगार्ड ने कहा कि मध्यम अवधि में हम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी मजबूत स्थिति देखते हैं।
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भारत के लिए त्रिपक्षीय ढांचागत सुधार दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया। इसमें कॉर्पोरेट और बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर हालत से बाहर निकालना, राजस्व संबंधी कदमों के माध्यम से वित्तीय एकीकरण को जारी रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता को बेहतर करने के सुधार शामिल हैं। आईएमएफ में एशिया-प्रशांत विभाग के उपनिदेशक केनेथ कांग ने कहा कि एशिया का परिदृश्य अच्छा है और यह मुश्किल सुधारों के साथ भारत को आगे ले जाने का महत्वपूर्ण अवसर है।
कांग ने यहां एक प्रेसवार्ता में संवाददाताओं से कहा कि ढांचागत सुधारों के मामले में 3 नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। पहली प्राथमिकता कॉर्पोरेट और बैंकिंग क्षेत्र की हालत को बेहतर करना है। इसके लिए गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के समाधान को बढ़ाना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी आधिक्य का पुनर्निर्माण और बैंकों की ऋण वसूली प्रणाली को बेहतर बनाना होगा। दूसरी प्राथमिकता भारत को राजस्व संबंधी कदम उठाकर अपने राजकोषीय एकीकरण की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए, साथ ही सब्सिडी के बोझ को भी कम करना चाहिए।
कांग के अनुसार तीसरी प्राथमिकता बुनियादी ढांचा अंतर को पाटने के लिए ढांचागत सुधारों की गति बनाए रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता का विस्तार होना चाहिए, साथ ही कृषि सुधारों को भी आगे बढ़ाना चाहिए। (एजेंसी)