विभिन्न कारोबारों के बिक्री और ऑर्डर के आंकड़े सुधरे हैं, जिससे पता चलता है कि क्षमता का दोहन बेहतर हुआ है और निवेश का अनुमान भी बढ़ा है। सीआईआई के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में बढ़ी खपत का असर गैर टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, दोपहिया वाहन और ट्रैक्टर के क्षेत्रों में दिखता है।
सीआईआई ने आठ ऐसे मुख्य क्षेत्रों को चिह्नित किया है जहां सुधार की दिशा में उठाए गए कदमों ने विकास के नए द्वारा खोले हैं। इस सुधारवादी पहलों में पहला स्थान वस्तु एवं सेवाकर का है। जीएसटी को लागू करने में यहां ज्यादा कठिनाई नहीं हुई क्योंकि इसकी बाधाओं का समाधान त्वरित रूप से किया गया। शुरुआती समस्याओं के बाद कारोबारों ने इसे अच्छी तरह अंगीकार कर लिया।
दूसरे स्थान पर कारोबार सरलीकरण है है, जहां भारत का स्थान 42 अंक ऊपर चढ़ा है। कारोबार शुरू करना, कर देना और परमिट हासिल करना अधिक आसान हो गया है। तीसरे स्थान पर दिवालिया कानून है, जिसे लेकर उद्योग जगत की राय है कि इससे कारोबार का माहौल सुधरेगा और किसी क्षेत्र में असफल होने की स्थिति में कंपनियों को उससे बाहर निकलने में आसानी होगी।
यह गैर निष्पादित परिसंपत्तियों की समस्या का समाधान भी है। चौथी पहल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दायरे को बढ़ाना है जिससे वित्त वर्ष 201-17 की तुलना में बीते वित्त वर्ष एफडीआई में रिकॉर्ड 60 अरब डॉलर की तेजी देखी गई। पांचवीं पहल, सरकार द्वारा आधारभूत ढांचा क्षेत्र के आवंटन को बढ़ाना है।
अप्रैल-जनवरी 2017-18 के बीच सड़क निर्माण की गति इससे पहले के वित्त वर्ष की समान अवधि के 18.3 किलोमीटर प्रतिदिन की तुलना में बढ़कर 21.5 किलोमीटर प्रतिदिन हो गई। सीआईआई ने साथ ही सूक्ष्य, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदमों, मुद्रा योजना, कृषि आय बढाने के प्रयासों, ई-नाम, ग्राम, सावधि रोजगार योजना, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत, स्वच्छ ऊर्जा, देश के छ: लाख गांवों के विद्युतीकरण और उड़ान जैसी पहलों की सराहना की। सीआईआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर 7.3 से 7.7 प्रतिशत तक रहने का अनुमान व्यक्त किया है।