इसकी प्रमुख वजह आर्थिक वृद्धि में नरमी और शेयर मूल्यांकन को लेकर निवेशकों की चिंता है। निवेश में यह कमी सभी श्रेणी के इक्विटी फंड में देखी गई, जिसमें बड़ी कंपनियों (लार्ज कैप), मझोली कंपनियों (एम कैप) छोटी कंपनियों (स्मॉल कैप) के शेयरों और लाभांश से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं।
मॉर्निंग स्टार की रपट के अनुसार समीक्षावधि में शेयर बाजार से जुड़ी म्यूचुअल फंड योजनाओं का कुल निवेश 11,837 करोड़ रुपए रहा जो जुलाई-सितंबर तिमाही में 23,874 करोड़ रुपए था। इससे पहले अप्रैल-जून तिमाही में इस तरह की योजनाओं में निवेश 17,500 करोड़ रुपए था।
शेयर बाजार से जुड़ी म्यूचुअल फंड योजनाओं में कुल निवेश का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा सीधे बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया गया। समीक्षावधि में इस श्रेणी की योजनाओं में 3,500 करोड़ रुपए निवेश किए गए वहीं मझोली कंपनियों के शेयरों में इस दौरान 2,688 करोड़ रुपए और छोटी कंपनियों के शेयरों में 1,360 करोड़ रुपए निवेश किए गए।