इसके तहत केंद्रीय बैंक मुश्किल में फंसे क्षेत्र की इकाइयों की वित्तीय मदद के लिए बैंकों को रेपो दर से जुड़ी परिवर्तनशील ब्याज दर पर दीर्घकालिक कर्ज सुलभ कराने की व्यवस्था की है। इसमें 3 साल तक के लिए वितीय सुविधा ली जा सकती है। आरबीआई ने इसमें 1 लाख करोड़ रुपए तक धन सुलभ कराने का लक्ष्य रखा है। योजना 31 मार्च 2021 तक खुली है।
मौद्रिक नीति समिति की 3 दिन चली बैठक के बाद जारी नीतिगत वक्तव्य में कहा गया है कि एनबीएसफी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) विभिन्न क्षेत्रों में कर्ज वितरण की आखिरी कड़ी की भूमिका निभाती है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि अब प्रस्ताव है कि चिह्नित संकटग्रस्त क्षेत्रों को अतिरिक्त कर्ज सुविधा पहुंचाने के लिए एनबीएफसी को मांग होने पर टीएलटीआरओ-ऑन-टैप (सदा सुलभ) व्यवस्था के तहत बैंकों से ऋण उपलब्ध कराया जाए। (भाषा)