indexation : निर्मला सीतारमण द्वारा 23 जुलाई को संसद में पेश किए गए बजट के बाद से इंडेक्सेशन चर्चा में आ गया है। हर कोई जानना चाहता है कि इंडेक्सेशन क्या है और इसके हटने से प्रॉपर्टी बेचने पर सरकार को कितना टैक्स देना होगा।
सरकार ने बजट में रियल एस्टेट संपत्तियों पर इंडेक्सेशन को हटा दिया है। साथ ही, लांगटर्म कैपिटल गेन टैक्स को भी 20 से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। हालांकि विशेषज्ञों ने इस कदम को विक्रेताओं के लिए नकारात्मक बताया है। हालांकि सरकार का दावा है कि इससे लोगों की बचत बढ़ेगी। हालांकि 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी के लिए इंडेक्सेशन बेनिफिट जारी रहेगा।
सरकार का यह भी मानना है कि इंडेक्सेशन प्रावधान हटाने के साथ ही कैपिटल गेन्स टैक्स की दरों को घटाने से लंबी अवधि में रियल एस्टेट में निवेश करने वाले ज्यादातर लोगों को फायदा होगा क्योंकि इस पर रिटर्न की दर 10-11 फीसदी से अधिक है।
क्या है इंडेक्सेशन : इंडेक्सेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी संपत्ति को समय के साथ मुद्रास्फीति के हिसाब से समायोजित करने के लिए किया जाता है। यह समायोजन संपत्ति को बेचने पर कर योग्य पूंजीगत लाभ को कम करने में मदद करता है। इंडेक्सेशन को समझने के लिए पहले कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) को समझना जरूरी है। सीआईआई एक ऐसा नंबर होता है, जो हर साल बदलता है। अचल संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति को खरीद वर्ष के हिसाब से एक नंबर मिलता था। इसी नंबर के हिसाब से महंगाई और लागत को संतुलित कर LTCG टैक्स लगाया जाता है।
Taxation of Capital Gains
➤ Benefits to the taxpayers:
The reduction in long term capital gains tax rate from 20% with indexation to 12.5 % without indexation for real estate to benefit in almost all cases
क्या कहता है आयकर विभाग : आयकर विभाग ने कहा है कि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर की गणना के उद्देश्य से वर्ष 2001 से पहले खरीदी गई अचल संपत्तियों के अधिग्रहण की लागत एक अप्रैल 2001 तक उचित बाजार मूल्य (एफएमवी, स्टांप ड्यूटी मूल्य से अधिक नहीं) या भूमि या भवन की वास्तविक लागत होगी।
वर्ष 2001 से पहले खरीदी गई संपत्तियों के मामले में, उचित बाजार मूल्यांकन (स्टांप ड्यूटी मूल्य से अधिक नहीं) को मुद्रास्फीति समायोजन मूल्य निर्धारित करने के लिए आधार बनाया जा सकता है। मुद्रास्फीति समायोजन के बाद मूल्य को एलटीसीजी की गणना के लिए बिक्री मूल्य से घटा दिया जाएगा और फिर 20 प्रतिशत कर लगाया जाएगा।
आयकर विभाग ने कहा है कि एक अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई संपत्तियों (भूमि या भवन या दोनों) के लिए 1 अप्रैल 2001 के मूल्य के हिसाब से खरीद लागत, या एक अप्रैल 2001 को ऐसी परिसंपत्ति का उचित बाजार मूल्य (जहां भी उपलब्ध हो, स्टांप शुल्क मूल्य से अधिक नहीं) उस परिसंपत्ति के अधिग्रहण की लागत होगी। विभाग के अनुसार, करदाता दोनों में से एक विकल्प चुन सकते हैं।
क्या है टैक्स का कैलकुलेशन : आयकर विभाग ने एक उदाहरण के साथ समझाने की कोशिश है कि 2001 से पहले खरीदी गई संपत्तियों के मामले में पूंजीगत लाभ कर की गणना किस तरह की जाएगी। उसने एक संपत्ति का उदाहरण दिया, जिसकी 1990 में अधिग्रहण की लागत 5 लाख रुपए थी और एक अप्रैल 2001 को इसका स्टांप शुल्क मूल्य 10 लाख रुपए और एफएमवी 12 लाख रुपए था। यदि इसे 23 जुलाई 2024 को या उसके बाद एक करोड़ रुपए में बेचा जाता है, तो एक अप्रैल 2001 तक अधिग्रहण की लागत 10 लाख रुपए (स्टाम्प ड्यूटी या एफएमवी में से जो भी कम हो) होगी।
वित्त वर्ष 2024-25 में इस अधिग्रहण की मुद्रास्फीति समायोजन लागत 36.3 लाख रुपये (10 लाख रुपए गुणा 363/100) है। 363 वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक है। इस सूचकांक को आयकर विभाग अधिसूचित करता है। इस मामले में एलटीसीजी 63.7 लाख रुपए (एक करोड़ रुपए में से 36.3 लाख रुपए घटाकर) बैठता है। इस तरह 20 प्रतिशत की दर पर, ऐसी संपत्तियों के लिए एलटीसीजी कर 12.74 लाख रुपए बनेगा।
वहीं नई व्यवस्था में एलटीसीजी 90 लाख रुपए (एक करोड़ में से लागत 10 लाख रुपए घटाने) आंका जाएगा और इस पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर 12.5 प्रतिशत हिसाब से 11.25 लाख करोड़ रुपए बैठेगा।
क्या कहते हैं CBDT के चेयरमैन : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल के अनुसार, रियल एस्टेट लेनदेन से इंडेक्सेशन लाभ को हटाने का कदम वास्तविक बाजार गतिशीलता के नजरिये से देखने पर करदाताओं के लिए फायदेमंद साबित होगा। नई व्यवस्था के तहत एक करदाता के लिए कम कर देनदारी बनेगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 को आधार मानें तो 20-25 वर्षों में संपत्ति की कीमतें बहुत अधिक बढ़ गई हैं। पिछले 23 वर्षों में यदि संपत्ति की दर 7 गुना बढ़ गई है तो फिर नए कर प्रावधान ही फायदेमंद हैं। अगर आप गणित को छोड़ दें तो वास्तविक बाजार में आने पर नई कर व्यवस्था ही बेहतर दिखती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स : डेलॉयट इंडिया की साझेदार आरती रावते ने कहा कि इंडेक्सेशन के बिना एलटीसीजी का करदाताओं पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस बदलाव के साथ अब करदाता वास्तविक लागत और बिक्री मूल्य के बीच के अंतर पर कर का भुगतान करेंगे, जो उल्लेखनीय होगा। यदि मुद्रास्फीति के समायोजन पर विचार नहीं किया गया तो निवेशकों को नुकसान होगा।
इक्रा की उपाध्यक्ष और सह-समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग्स) अनुपमा रेड्डी ने भी कहा कि एलटीसीजी कर की दर में कमी के बावजूद आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र पर दीर्घकालिक रिटर्न को देखते हुए, संपत्ति की बिक्री के समय इंडेक्सेशन लाभ को हटाने से कर में वृद्धि होने की संभावना है। इसलिए, यह क्षेत्र के लिए नकारात्मक है।(वेबदुनिया/एजेंसियां)