RBI क्यों खरीद रहा भर-भर कर सोना, क्या देश में आने वाला है संकट, जानिए सच

WD Feature Desk

बुधवार, 30 जुलाई 2025 (17:45 IST)
why rbi is buying gold: हाल के दिनों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सोने की लगातार और बड़ी खरीदारी ने विशेषज्ञों और आम जनता दोनों का ध्यान खींचा है। जून 2025 में RBI ने फिर से सोने की बड़ी खरीदारी की है, रिपोर्ट के मुताबिक आधा टन (500 किलो से ज़्यादा) सोना और खरीदा है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि आखिर केंद्रीय बैंक इतना सोना क्यों खरीद रहा है? क्या यह देश में आने वाले किसी संकट का संकेत है, या इसके पीछे कोई गहरी आर्थिक रणनीति है? आइए, इस प्रवृत्ति के पीछे की वजहों और सोने के महत्व को समझते हैं।

RBI क्यों खरीद रहा है इतना ज्यादा सोना?
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सोने की बढ़ती खरीदारी के पीछे कई महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक कारण हैं:
1. विदेशी मुद्रा भंडार का विविधीकरण: किसी भी देश का विदेशी मुद्रा भंडार उसकी आर्थिक स्थिरता का पैमाना होता है। इसमें मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड जैसी प्रमुख विदेशी मुद्राएँ, सरकारी बॉन्ड और सोना शामिल होता है। RBI अपने विदेशी मुद्रा भंडार को केवल एक या दो मुद्राओं पर निर्भर रहने के बजाय, उसमें सोने की हिस्सेदारी बढ़ाकर विविधीकरण कर रहा है। यह किसी एक मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट के जोखिम को कम करता है।
2. मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के खिलाफ बचाव: सोना पारंपरिक रूप से मुद्रास्फीति के खिलाफ एक प्रभावी बचाव माना जाता है। जब महंगाई बढ़ती है या वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता का माहौल होता है, तो निवेशक और केंद्रीय बैंक सोने को एक सुरक्षित निवेश मानते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक व्यापार तनाव और अन्य भू-राजनीतिक घटनाएँ केंद्रीय बैंकों को सोने की ओर आकर्षित कर रही हैं।
3. डॉलर पर निर्भरता कम करना: अमेरिकी डॉलर अभी भी वैश्विक आरक्षित मुद्रा है, लेकिन कई देशों के केंद्रीय बैंक अब डॉलर पर अपनी अत्यधिक निर्भरता कम करना चाहते हैं। सोने की खरीदारी इस रणनीति का एक हिस्सा है, जिससे वे अपनी आर्थिक संप्रभुता को मजबूत कर सकें।
4. पोर्टफोलियो का प्रदर्शन सुधारना: सोने को एक ऐसा एसेट माना जाता है जो अस्थिर समय में भी अच्छा प्रदर्शन करता है। अपने भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़ाने से RBI अपने कुल विदेशी मुद्रा भंडार के प्रदर्शन को बेहतर बना सकता है।

भारत के पास कितना है सोने का भण्डार?
भारतीय रिजर्व बैंक लगातार सोने की खरीदारी कर रहा है, जिससे भारत का गोल्ड रिजर्व बढ़ रहा है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के फॉरेन एक्सचेंज में सोने की हिस्सेदारी 8.9 फीसदी से बढ़कर 12.1% हो गई है। जुलाई 2025 तक, आरबीआई के पास सोने का कुल स्टॉक 879.98 टन हो गया है। वित्त वर्ष 2024-25 में ही आरबीआई ने 57.5 टन सोना खरीदा है, जो 2017 के बाद दूसरी सबसे बड़ी वार्षिक खरीद है। यह दर्शाता है कि RBI सोने को अपने कुल भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मान रहा है।

सोना कैसे संकट की घड़ी में है रक्षक?
सोना को 'संकट की घड़ी का रक्षक' या 'सुरक्षित पनाहगाह' (Safe Haven Asset) कहा जाता है, और इसके पीछे कई कारण हैं:
1. मूल्य का स्थायित्व: आर्थिक मंदी, शेयर बाजार में गिरावट या मुद्रास्फीति के दौरान, जब अन्य संपत्तियों का मूल्य गिरता है, तो सोने का मूल्य अक्सर स्थिर रहता है या बढ़ता है। यह निवेशकों को अपने धन को सुरक्षित रखने का एक तरीका प्रदान करता है।
2. तरलता (Liquidity): सोना एक अत्यधिक तरल संपत्ति है, जिसे आसानी से नकदी में बदला जा सकता है। आपातकाल या संकट के समय यह सुविधा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
3. भौतिक संपत्ति: कागजी मुद्राओं या डिजिटल संपत्तियों के विपरीत, सोना एक भौतिक संपत्ति है जिसका अपना आंतरिक मूल्य होता है। यह इसे वित्तीय प्रणालियों के ढहने या साइबर हमलों जैसी स्थितियों में भी विश्वसनीय बनाता है।
4. कोई क्रेडिट जोखिम नहीं: सोने पर किसी सरकार या संस्था का क्रेडिट जोखिम नहीं होता है, जैसा कि बॉन्ड या अन्य वित्तीय साधनों पर होता है। यह इसे एक स्वतंत्र और सुरक्षित निवेश बनाता है।


 

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