कई कयासों, उम्मीदों, नाउम्मीदों के बीच टाटा मोटर्स के रतन एन. टाटा का सपना पूरा होने जा रहा है। जल्द ही उनके सपनों की कार ‘टाटा की लखटकिया’ भारतीय सड़क पर दौड़ती नजर आएगी। दिल्ली में होने वाले ऑटो एक्सपो- 2008 में पहली बार टाटा मोटर्स अपनी लखटकिया कार को दुनिया के सामने लाएगा।
अभी इस कार को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। टाटा मोटर्स किसी नई-नवेली दुल्हन की तरह अपनी कार से जुड़ी हर बात के लिए गोपनीयता बरत रहा है। इस कार की सूरत कैसी होगी, इसकी कीमत कितनी रखी जाएगी से लेकर कीमत कम करने के संबंध में टाटा ने क्या-क्या रिसर्च की हैं, ये सब तथ्य पूरी तरह से गोपनीय रखे गए हैं। इस कार को बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली लाया जा रहा है। टाटा मोटर्स से जुड़े लोगों के अलावा किसी और को इस कार की एक झलक भी नहीं दिखाई गई है।
सही कहा जाए तो 10 जनवरी के दिन ऑटो एक्सपो में होने वाले अनावरण के बाद ही सभी जान पाएँगे कि कार दिखती कैसी है और इसकी कीमत कितनी रखी जाएगी। अभी बाजार में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस कार की कुल कीमत एक लाख अठारह हजार रुपए होगी। इसी तरह यह कार कैसी होगी, इसका रेखाचित्र बताया जा रहा है लेकिन असलियत पर अभी मोटा पर्दा डला हुआ है।
यूँ देखा जाए तो एक कार का थोक उत्पादन करने पर भी दो से तीन लाख की लागत आती है। इस लागत के बीच एक लाख रुपए की कार को लेकर न केवल उपभोक्ता, बल्कि अन्य कार उत्पादक कंपनियाँ भी बेहद उत्सुक हैं। सामान्य दोपहिया से कुछ ही ज्यादा कीमत वाली इस लखटकिया कार के लिए एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि रतन टाटा 2003 में की गई अपनी लाख रुपए की कार की घोषणा के कारण ही यह कार बाजार में ला रहे हैं।
कुछ समय बाद या तो कार का उत्पादन बंद कर दिया जाएगा या फिर कार की कीमत बढ़ा दी जाएगी। लेकिन टाटा से जुड़े लोगों का कहना है कि यह कयास पूरी तरह गलत हैं। यह एक सपना है जो अब सच होने जा रहा है। अगस्त माह के आसपास यह कार भारतीय सड़क पर दौड़ती नजर आएगी।
टाटा मोटर्स ने इस सपने को सच में बदलने के लिए ही कोलकाता के पास सिंगूर में टाटा का नया प्लांट लगाया है जिससे केंद्रीय उत्पादन किया जा सके। केंद्रीय उत्पादन करने से मोटर पार्ट्स के ट्रासंपोर्टेशन का शुल्क कम होगा। इस तरह कार उत्पादन की लागत को कम करने के लिए टाटा ने कई दूसरे व्यावहारिक उपाय किए हैं। वहीं टाटा से जुड़े वैज्ञानिकों ने भी लखटकिया कार का सपना पूरा करने के लिए सालों रिसर्च की है।
विश्वस्त सूत्रों का यह भी कहना है कि यह कार सड़क पर आएगी, सरपट भागेगी और ऐसी एक नहीं, बल्कि हजारों-लाखों कारों का उत्पादन होगा, क्योंकि टाटा इतनी कम लागत पर कार तब ही बना सकता है, जब उसका थोक उत्पादन हो। इसलिए इंतजार कीजिए 10 जनवरी का, इसी दिन इस नई-नवेली दुल्हन की मुँह दिखाई होगी।