ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए नींद बर्बाद होना संभवत: उद्योगपति रतन टाटा की आदत बन चुकी है।
टाटा समूह के अध्यक्ष बुधवार रात शायद ढाई घंटे ही सो पाए हों, क्योंकि वे आज आम जनता की कार को बाजार में पेश किए जाने की भागमभाग में थे।
सुबह नाश्ते पर संपादकों के साथ बातचीत करते हुए टाटा ने कहा कि यह कोई भय या अवसाद की वजह से नहीं है, बल्कि लखटकिया आज पेश किए जाने के कारण हुई व्यस्तता ने उन्हें सोने नहीं दिया।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि 71 वर्षीय टाटा अपनी किसी पसंदीदा परियोजना के लिए ठीक से सो न पाए हों। पिछले साल 30 और 31 जनवरी की रात को टाटा जगे हुए थे, क्योंकि उनके समूह की कंपनी टाटा स्टील आंग्ल डच इस्पात कंपनी कोरस ग्रुप के लिए बोली लगा रही थी।
बाम्बे हाउस में रातभर जागने का फायदा भी मिला और टाटा स्टील ने ब्राजील की प्रतिद्वंद्वी कंपनी सीएसएन को पीछे छोड़ दिया और दुनिया में एलाय बनाने वाली छठी बड़ी कंपनी बन गई। कोरस का सौदा लगभग 13 अरब डॉलर में हुआ।
दशकभर पहले इंडिका को बाजार में पेश करने का स्मरण कराते हुए टाटा ने आज कहा कि ट्रक से कार बनाने के क्षेत्र में उतरना काफी जोखिमभरा काम था, लेकिन अब टाटा देश को ऐसी कार देने जा रहे है जो अभी यहाँ कहीं पर नहीं है। उन्होंने कहा कि सस्ती कार बनाना और लोगों के लिए भी संभव हो सकता है।