मैं किसी की नकल नहीं करता, मेरी खुद की खास शैली है : अजिंक्य रहाणे

Webdunia
सोमवार, 16 मई 2016 (18:11 IST)
नई दिल्ली। क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप के कारण कई खिलाड़ियों को बल्लेबाजी के अपने सिद्धांतों में बदलाव करना पड़ा लेकिन भारत के स्टार बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ने कहा कि वे अपनी किताबी शैली से कभी समझौता नहीं करेंगे, क्योंकि इससे उन्हें शीर्ष स्तर पर सफलता मिली है।
आईपीएल के वर्तमान सत्र में 127 के स्ट्राइक रेट से 419 रन बनाने वाले रहाणे ने कहा कि  आईपीएल में मैं जिस तरह से बल्लेबाजी कर रहा हूं उससे वास्तव में मैं अच्छा महसूस कर रहा हूं। चीजों को सरल बनाए रखना और अपने खेल के अनुकूल तरीके से बल्लेबाजी करना अच्छा  है। मुझे नहीं लगता कि मुझे किसी अन्य बल्लेबाज की शैली की नकल करने की जरूरत है, क्योंकि मेरी खुद की विशिष्ट शैली है।
 
अब तक 22 टेस्ट मैचों में 6 शतक लगाने वाले रहाणे ने कहा कि सीधे बल्ले से खेलना और  उचित क्रिकेटिया शॉट लगाना अभी तक मेरे लिए अच्छा रहा है और मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत है।
 
इस 27 वर्षीय बल्लेबाज ने हालांकि कहा कि वे हर दिन सीख रहे हैं और हर तरह के शॉट  खेलने में सक्षम हैं। राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए राहुल द्रविड़ से गुर सीखने वाले रहाणे  जब भी किसी बड़े मैच के लिए तैयार होते हैं तो उनका अपना खुद का रूटीन होता है।
 
उन्होंने कहा कि मैं हर दिन ध्यान लगाता हूं जिससे मुझे एकाग्रता बनाने में मदद मिलती है।  बल्लेबाजी करते हुए जब मैं नॉन स्ट्राइकर छोर पर रहता हूं तो गहरी सांस लेने की प्रक्रिया  अपनाने की कोशिश करता हूं। 2 गेंदों के बीच 2-3 बार गहरी सांस लेने से मुझे मदद मिलती  है। आप बेहतर सोचते हो और यह मेरे लिए कारगर साबित हुआ है। रहाणे का एक व्यावहारिक  पक्ष यह भी है कि वे हाल में अपने मशहूर दार्शनिक वेदांत स्वामी पार्थसारथी के संपर्क में आए। 
 
उन्होंने कहा कि मेरे कोच प्रवीण सर (आमरे) मुझे स्वामी पार्थसारथी के पास ले गए और वे मेरे  लिए जिंदगी के कोच की तरह हैं। उन्होंने मुझसे जिंदगी के पहलुओं के बारे में बात की, जो  क्रिकेट से संबंधित नहीं थीं। उनकी एक सलाह यह भी थी कि मैं कुछ हासिल करने के चक्कर  में सबकुछ गंवाने की चीज का अनुसरण कर रहा हूं।
 
उन्होंने मुझसे कहा कि जिंदगी में अगर कुछ पाने की तमन्ना है तो उसको पहले खोना पड़ता है। उसे भूल जाओ  और उसके बारे में ज्यादा मत सोचो। रहाणे को अंतर्मुखी समझा जाता है लेकिन उन्हें लगता है कि पिछले 4 साल से राष्ट्रीय टीम के साथ शीर्ष स्तर पर खेलने ने उन्हें और अधिक मुखर बना दिया है और वे इतने शर्मीले नहीं हैं जितना कि लोग समझते हैं।
 
उन्होंने कहा कि मैं बहुत शर्मीला व्यक्ति नहीं हूं। मैं भी खुद को बयां करता हूं। निश्चित रूप से  अच्छे प्रदर्शन से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। अपने प्रदर्शन में जो जितना निरंतर होता है,  वह उतना ही खुद को बयां करने लगता है। (भाषा)
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