डर्बी। हरमनप्रीत कौर ने तूफानी अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए आज यहां भारत की तरफ से एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दूसरा सर्वोच्च स्कोर बनाया जिससे भारतीय महिला टीम ने मौजूदा चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आईसीसी महिला विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में निर्धारित 42 ओवरों में चार विकेट पर 281 रन का मजबूत स्कोर खड़ा किया। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम 40.1 ओवर 245 रनों पर सिमट गई।
ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाज ब्लैकवेल ने 56 गेंदों में 10 चौकों और 3 छक्के की मदद से शानदार 90 रन की पारी खेली। बीम्स 10 पर नाबाद रहीं। भारत की तरफ से दीप्ति शर्मा ने तीन, झूलन गोस्वामी और शिखा पांडे ने 2-2 विकेट लिए। भारत 12 साल बाद दूसरी मर्तबा विश्व कप के फाइनल में पहुंचा है। 23 जुलाई को फाइनल में भारत का मुकाबला इंग्लैंड से होगा।
12 साल पहले 2005 में भारत विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था लेकिन तब ऑस्ट्रेलिया ने उसे हराया था। आज भारत की यह जीत इस मायने भी अहम है क्योंकि उसने गत विजेता और 6 बार की विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त दी है।
एक समय ऑस्ट्रेलिया की ब्लेकवेल ने मैच का नक्शा ही बदल दिया था क्योंकि ऑस्ट्रेलिया को 29 गेंदों पर 60, फिर 24 गेंदों पर 55 और 12 गेंदों पर 37 रन चाहिए थे। 41वें ओवर की पहली ही गेंद पर दीप्ति ने ब्लेकवेल को 90 रन पर बोल्ड करके भारत को फाइनल का टिकट दिलवा दिया।
ऑस्ट्रेलिया ने पहला विकेट बेथ मूनी का 4 रन पर, दूसरा विकेट लैगिंग का 9 रन पर, तीसरा विकेट निकोल बोल्टन का 21 रन पर, चौथा विकेट विलानी का 126 रन पर, पांचवां विकेट 140 रन पर, छठा विकेट 148 पर, सातवां विकेट 152 रन पर, आठवां विकेट 154 रन पर, नौंवा विकेट 169 रन और दसवां विकेट 245 रन पर गंवाया।
इससे पहले हरमनप्रीत ने 115 गेंदों पर 20 चौकों और सात छक्कों की मदद से नाबाद 171 रन बनाए। उन्होंने कप्तान मिताली राज (36) के साथ तीसरे विकेट के लिए 66 और फिर दीप्ति शर्मा के साथ चौथे विकेट के लिए 137 रन की साझेदारी की। इसमें दीप्ति का योगदान केवल 25 रन का था।
दीप्ति के नाम पर ही भारत की तरफ से वनडे में सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड है। उन्होंने इसी वर्ष आयरलैंड के खिलाफ पोटचेफ्सट्रूम में 188 रन बनाए थे। हरमनप्रीत ने अंतिम ओवरों में वेदा कृष्णमूर्ति (नाबाद 16) के साथ केवल 20 गेंदों पर 43 रन जोड़े।
कप्तान मिताली राज (36)
हरमनप्रीत ने शुरू में क्रीज पर पांव जमाने में समय लगाया। उन्होंने पहले 50 रन के लिए 64 गेंदें खेली। इसके बाद अगले 50 रन उन्होंने 26 गेंदों में बनाए जबकि 100 से 150 रन तक पहुंचने में उन्होंने केवल 17 गेंदें खेली। पारी के आखिरी ओवरों में तो उनके बल्ले से केवल चौके और छक्के निकल रहे थे।
बारिश के कारण मैच लगभग तीन घंटे की देरी से शुरू हुआ और मैच 42-42 ओवर का कर दिया गया। मिताली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखायी लेकिन स्मृति मंदाना (छह) लगातार छठे मैच में अच्छी शुरूआत देने में नाकाम रही जिससे भारतीय कप्तान को शुरू में ही क्रीज पर उतरकर पारी संवारने की जिम्मेदारी उठानी पड़ी।
आउट होकर पैवेलियन लौटते हुए पूनम राउत
मंदाना ने पहले दो मैचों में 90 और नाबाद 106 रन बनाए थे लेकिन इसके बाद छह मैचों में वह केवल 36 रन ही बना पायी। उन्होंने मेगान स्कट पर खूबसूरत कवर ड्राइव से चौका जमाकर खाता खोला लेकिन इसी ओवर की आखिरी गेंद को हवा में लहराकर पैवेलियन लौट गई। दूसरी सलामी बल्लेबाज पूनम राउत (14) भी क्रीज पर पर्याप्त समय बिताने के बाद ऑफ स्पिनर एशलीग गार्डनर की डीप मिडविकेट पर कैच दे बैठी।
न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछले मैच में शतक जड़ने वाली मिताली ने हमेशा की तरह संभलकर बल्लेबाजी की और इस बीच हरमनप्रीत ने दूसरे छोर से स्ट्राइक रोटेट करके उनका बखूबी साथ निभाया। मिताली को क्रिस्टीन बीम्स की गेंद पर उन्हें जीवनदान मिला।
भारतीय कप्तान हालांकि इसका फायदा नहीं उठा पाई और इस लेग स्पिनर की अगली गेंद पर बोल्ड हो गई। हरमनप्रीत हालांकि पूरे रंग में दिखी। उन्होंने विशेष रूप से स्पिनरों को अपने निशाने पर रखा।
इस 28 वर्षीय बल्लेबाज ने बीम्स की गेंद पर पारी का पहला छक्का लगाया। उन्होंने दूसरी स्पिनर जेस जोनासेन को भी नहीं बख्शा और उनके एक ओवर में दो चौके जड़ने के बाद बाएं हाथ की इस स्पिनर के अगले ओवर में लगातार गेंदों को छह और चार रन के लिए भेजा।
वह बीम्स की गेंद पर चौका लगाकर शतक के करीब पहुंची और इसी ओवर की आखिरी गेंद पर तेजी से दो रन चुराकर वनडे में अपना तीसरा शतक पूरा किया। इसके लिए उन्होंने 90 गेंदें खेली तथा 12 चौके और दो छक्के लगाए। शतक पूरा करने के बाद तो हरमनप्रीत को केवल बाउंड्री नजर आ रही थी और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को समझ में नहीं आ रहा था कि बिग बैश में उनके साथ खेल चुकी इस बल्लेबाज के लिए कहां गेंद करें।
हरमनप्रीत ने गार्डनर पर लगातार दो छक्के और दो चौके लगाकर अपना पिछला सर्वश्रेष्ठ स्कोर (107 रन) और आस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी भी भारतीय का सर्वोच्च स्कोर पार किया।
गार्डनर ने अपने पहले सात ओवरों में केवल 20 रन दिए थे लेकिन इस ओवर में वह 23 रन लुटा गई। उन्होंने स्कट पर दो चौके लगाने के बाद एलिस विलानी की गेंद छक्के और चौके लिए भेजी। दीप्ति इस ओवर में बोल्ड हो गई लेकिन हरमनप्रीत पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
हरमनप्रीत ने जल्द ही अपने 150 रन पूरे किए और फिर जोनासेन पर लगातार दो छक्के जड़कर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को पस्त किया। जोनासेन ने सात ओवरों में 63 जबकि स्कट ने नौ ओवरों में 64 रन लुटाए।