आईपीएल का यह 18वां सत्र होगा और विराट कोहली के जर्सी नंबर 18 से यह मेल खाता है। यही कारण है कि इस बार पूरी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलूरू कोहली साब को यह ट्रॉफी जितवा कर ई साला कम नामदे का शोर बंद करना चाहती है।
2008 में आईपीएल के शुरू होने के बाद से, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर वह टीम रही है जिसने 16 साल के इतिहास में हर सीज़न में भाग लिया, लेकिन कभी एक भी ट्रॉफी नहीं जीती, लेकिन 3 बार 2009, 2011 और 2016 में उपविजेता ज़रूर रही है। इस टीम के वफादार प्रशंसकों की संख्या बहुत अधिक है। इसके प्रशंसक कभी उम्मीद नहीं खोते, चाहे उन्हें पहली ट्रॉफी जीतने में कितने भी सीज़न लग जाएं।
इस बार यह मुमकिन भी लग रहा है क्योंकि
ताकत
तेज गेंदबाजी मिश्रण- हमेशा से ही कमजोर कड़ी रहने वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की गेंदबाजी इस बार तटस्थ नजर आ रही है।अमूमन गेंदबाजी कभी भी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलूरू की ताकत नहीं रही लेकिन इस बार टीम के पास बहुत विकल्प है और वह भी बाएं और दाएं हाथ के। जोश हेजलवुड, लूंगी एन्गिडी, भुवनेश्वर कुमार, यश दयाल इस प्रारुप के अनुभवी है। रशिक डार ने भी इमर्जिंग एशिया कप में अंतिम ओवरों में अपनी उपयोगिता साबित की है।
मध्यक्रम में कोहली का अनुभव- टीम के पास विराट कोहली के साथ अनुभवी खिलाड़ी है और उनके पास अंतरराष्ट्रीय अनुभव है, जो निर्णय लेने और बाकी खिलाड़ियों को गाइड करने में मदद करेगा। वह मध्यक्रम में खूंटा गाड़कर बल्लेबाजी कर सकते हैं और दूसरे बल्लेबाज जोखिम लेकर टीम को 160 प्लस के स्कोर तक पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।
कमजोरी
बड़े नाम गायब, कमजोर होता मध्यक्रम- रॉयल चैलेंजर्स बैंगलूरू की टीम में फिल सॉल्ट को छोड़ दे तो बड़े हिट लगाने वाले बल्लेबाज की कम दिख रही है। मध्यक्रम में लिविंग्सटन है लेकिन उनका हालिया फॉर्म खास नहीं रहा है। ऐसे में तेजी से रन बनाने की जिम्मेदारी लेगा कौन यह देखना होगा।
नया कप्तान, ज्यादा दबाव- सैयद मुश्तान अली ट्रॉफी में अपनी बेहतरीन कप्तानी के कारण रजत पाटीदार को कप्तानी मिल तो गई लेकिन आईपीएल में कप्तानी का दबाव अलग होता है। वह यह दबाव कितना झेल पाते हैं यह इस सत्र में पता चल जाएगा।
Even one percent is good enough
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने पिछले सत्र में यह दिखाया कि इतनी संभावनाओं पर भी प्लेऑफ में आया जा सकता है। पिछले सत्र में लगभग 1 महीने बाद मैच जीतने वाली बैंगलोर ने लगातार मैच जीतकर प्लेऑफ में जगह बनाई। उस ही जज्बे से अगर टीम खेले तो पहली ट्रॉफी दूर नहीं।