नई दिल्ली। पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा का मानना है कि भले ही भारतीय तेज गेंदबाजों ने इस साल विदेशी सरजमीं पर अच्छा प्रदर्शन किया हो लेकिन ऑस्ट्रेलिया की मुश्किल परिस्थितियों के कारण आगामी श्रृंखला उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगी।
नेहरा 2003-04 के दौरे में ऑस्ट्रेलिया से श्रृंखला 1-1 से ड्रॉ खेलने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। उनका मानना है कि वर्तमान तेज गेंदबाजों में सफल होने की कूव्वत है लेकिन इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका की तुलना में वहां परिस्थितियां भिन्न होंगी।
नेहरा ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम अभी बदलाव के दौर से गुजर रही है और नि:संदेह यह भारत के लिए बहुत अच्छा मौका है। हमारे पास ऐसा गेंदबाजी आक्रमण है, जो उसे परेशानी में डाल सकता है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ऑस्ट्रेलिया में परिस्थितियां काफी कड़ी होंगी, जहां विकेट सपाट होता है और काफी गर्मी होती है।
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में आपको अतिरिक्त उछाल मिल सकती है लेकिन वहां कूकाबूरा की सिलाई खत्म होने तक थोड़ा मूवमेंट मिलेगा। वहां इंग्लैंड जैसा नहीं होगा, जहां कि गेंद पूरे दिन स्विंग लेती है। एक बार उछाल से सामंजस्य बिठाने के बाद बल्लेबाज आप पर पूरे दिन शॉट खेल सकता है। ऑस्ट्रेलिया के मैदान हमेशा तेज गेंदबाजों के लिए फिटनेस संबंधी चुनौती भी पेश करते हैं।
नेहरा ने कहा कि इंग्लैंड में अगर आपका तेज गेंदबाज 6 ओवर के स्पैल में 2 विकेट लेता है तो कप्तान कुछ और विकेट हासिल करने के लिए 2 या 3 अधिक ओवर उसे देता है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में हमेशा ऐसा नहीं किया जा सकता है।
नेहरा के अनुसार एडिलेड में शुरू होने वाली श्रृंखला में जसप्रीत बुमराह और ईशांत शर्मा शुरुआती एकादश में रहेंगे जबकि मोहम्मद शमी और उमेश यादव में से किसी एक को चुना जा सकता है और मुझे नहीं लगता कि भुवनेश्वर कुमार पहले टेस्ट मैच में खेलेंगे। उसे कूकाबूरा की पुरानी गेंद से थोड़ी परेशानी होती है, क्योंकि यह ड्यूक या एसजी टेस्ट की तरह स्विंग या सीम नहीं होती है।
नेहरा का मानना है कि उमेश यादव अपनी शानदार फिटनेस, अनुभव और कौशल से ऑस्ट्रेलियाई दौरे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे दमदार गेंदबाज हैं और भारतीय तेज गेंदबाजों में सबसे फिट हैं। भारतीय परिस्थितियों में उनका प्रदर्शन इसका सबूत है, जब वे 65 से 70 ओवर पुरानी गेंद को भी रिवर्स करा सकते हैं। इसके लिए आपको कौशल और ताकत दोनों की जरूरत पड़ती है।