4 दिवसीय टेस्ट के पक्ष में नहीं: भारतीय कप्तान विराट कोहली

Webdunia
रविवार, 5 जनवरी 2020 (00:03 IST)
गुवाहाटी। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने शनिवार को आईसीसी द्वारा प्रस्तावित ‘चार दिवसीय टेस्ट’ का कड़ा विरोध किया और कहा कि वह खेल के पारपंरिक 5 दिवसीय प्रारूप में छेड़छाड़ के पक्ष में नहीं हैं। 
 
आईसीसी व्यवसायिक रूप से लुभावने संक्षिप्त प्रारूपों के लिए ज्यादा दिन निकालने के लिए 2023 से 2031 की अगले एफटीपी कार्यक्रम में 4 दिवसीय टेस्ट मैच आजमाना चाहता है। 
 
हालांकि इसका अभी प्रस्ताव ही दिया गया है और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इस प्रारूप को आजमाने की इच्छा व्यक्त की। हालांकि, सीनियर गेंदबाज नाथन लियोन ने इसे ‘हास्यास्पद’ करार किया। 
 
विश्व क्रिकेट के बड़े खिलाड़ियों में से एक कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ पहले टी20 की पूर्व संध्या पर कहा, ‘मेरे हिसाब से, इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।

जैसा कि मैंने कहा कि दिन-रात्रि मुकाबला टेस्ट क्रिकेट का व्यवसायीकरण की ओर एक और कदम है। इसके लिए रोमांच पैदा करना एक अलग बात है लेकिन इसमें ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। मैं ऐसा नहीं मानता।’ 
 
भारत ने हाल में दिन-रात्रि टेस्ट खेला और कोहली अभी 5 दिवसीय प्रारूप में केवल यही बदलाव देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे हिसाब से टेस्ट क्रिकेट में बस दिन-रात्रि टेस्ट का ही बदलाव बहुत है।’ 
 
भारतीय कप्तान को लगता है कि 5 दिवसीय में एक दिन कम करने की इच्छा सही नहीं हो सकती क्योंकि फिर इसे तीन दिवसीय करने की भी बातें होने लगेंगी। 
 
कोहली ने कहा, ‘आप सिर्फ दर्शकों की संख्या, मनोरंजन और ऐसी ही कुछ दूसरी बातें कर रहे हो। मुझे लगता है कि फिर आपकी इच्छा सही नहीं होगी क्योंकि फिर आप तीन दिवसीय टेस्ट की बात करोगे। मेरा मतलब है कि यह सब कहीं खत्म नहीं होगा। फिर आप कहोगे कि टेस्ट क्रिकेट विलुत्त हो रहा है।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं इसके हक में नहीं हूं। मुझे लगता है कि खेल के पारंपरिक प्रारूप के साथ यह उचित होगा। शुरू में क्रिकेट कैसे शुरू हुआ और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 5 दिवसीय टेस्ट सर्वश्रेष्ठ हुआ करता था।’ 
 
कोहली ने कहा, ‘टी20 नए प्रारूप के हिसाब से अच्छा था। मुझसे 100 गेंद के प्रारूप (ईसीबी द्वारा शुरू किए गए) के बारे में पूछा गया और मैंने कहा कि मैं नहीं जाऊंगा और खुद को एक और प्रारूप को नहीं आजमाऊंगा, क्योंकि पहले ही बहुत कुछ चल रहा है।’

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