20 साल तक बच्चों की पिटाई की सजा को प्रतिबंधित रखने के बाद अमेरिका का एक स्कूल इसे दोबारा शुरू कर रहा है। माता-पिता भी इससे सहमत हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसके खिलाफ हैं।
अमेरिका के मिशूरी प्रांत में एक स्कूल ने बच्चों को अनुशासित करने के लिए पिटाई को सजा के रूप में दोबारा स्थापित करने का फैसला किया है। कई विशेषज्ञों द्वारा इसे अनुचित और बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक बताने के बावजूद स्कूल ने फैसला किया है कि यदि माता-पिता को दिक्कत नहीं है तो यह सजा दी जा सकती है।
स्कूल के बोर्ड ने जून महीने में इस फैसले पर मोहर लगाई थी। छुट्टियों के बाद स्कूल इसी हफ्ते खुला है। दक्षिण-पश्चिम मिशूरी में 1900 छात्रों वाला यह स्कूल सौ किलोमीटर के दायरे में स्प्रिंगफील्ड का अकेला जिला स्कूल है। जिले ने 2001 में पिटाई की सजा पर प्रतिबंध लगा दिया था।
नई नीति कहती है कि पिटाई की सजा तभी दी जाएगी, जब अनुशासित करने के अन्य विकल्प जैसे निलंबन आदि नाकाम हो चुके हैं। इस सजा के लिए सुपरिटेंडेंट की इजाजत लेना आवश्यक होगा। सुपरिटेंडेंट मेरीलिन जॉनसन ने द स्प्रिंगफील्ड न्यूज-लीडर' अखबार को बताया कि कि यह फैसला एक सर्वे के बाद लिया गया है। स्कूल ने माता-पिता और अभिभावकों के बीच एक सर्वे कराया था जिसमें पहचान गुप्त रखी गई थी।
जॉनसन बताते हैं कि इस सर्वे में निष्कर्ष निकला कि अभिभावक, छात्र और स्कूल के कर्मचारी छात्रों के व्यवहार और अनुशासन को लेकर चिंतित हैं। वह कहते हैं, इस फैसले के लिए तो असल में लोगों ने हमें धन्यवाद कहा है। हैरत की बात है कि सोशल मीडिया पर लोग हमें ऐसा कहते सुनने पर बुरा-भला कहेंगे लेकिन जितने लोगों से मैं मिला हूं उनमें से ज्यादातर इस फैसले के समर्थक हैं।
माता-पिता को दिक्कत नहीं
एक छात्र की मां क्रिस्टीना हार्की ने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि स्कूल की नीति को लेकर वह अभी दुविधा में हैं। उन्होंने और उनके पति ने इस सजा के पक्ष में मतदान नहीं किया क्योंकि उनका छह साल का बेटा ऑटिस्टिक है और अगर उसे पीटा गया तो वह वापस हाथ उठाएगा।
हार्की कहती हैं कि कैलिफॉर्निया में उनके स्कूल के दिनों में जब वह शरारत करती थीं तो उन्हें मार पड़ती थी और उसका फायदा भी हुआ। वह कहती हैं, बच्चे अलग-अलग तरह के होते हैं। कुछ बच्चों को मार की जरूरत पड़ती है। मैं उन्हीं में से थी।
फिर भी, स्प्रिंगविल स्कूल में बहुत से अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए पिटाई की सजा की अनुमति दे दी है। 54 साल की टेस वॉल्टर्स को इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि जरूरत पड़ने पर उनकी आठ साल की पोती को पीटा जाए। वह कहती हैं कि उनकी पोती अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (ADHD) से पीड़ित है और पिटाई की संभावना उसे काबू में रखती है।
वॉल्टर्स कहती हैं, मैंने हाल ही में फेसबुक पर कुछ लोगों की प्रतिक्रियाएं पढ़ीं और वे इसे कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं मसलन, यह तो शोषण है और बच्चों को हिंसा से डराया जा रहा है। इस पर मैं कहती हूं कि क्या बात कर रहे हैं ये लोग। बच्चे को कभी-कभार थप्पड़ मारना क्या पिटाई करना होता है? लोग एकदम पागल हुए जा रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली गैर सरकारी संस्था इंटरकल्चरल डिवेलपमेंट रिसर्च एसोसिएशन' मॉर्गन क्रेवन कहते हैं कि बच्चों की पिटाई पूरी तरह से अनुचित और बेअसर सजा है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1977 में एक फैसला देकर कहा था कि पिटाई एक संवैधानिक सजा है और राज्य इस बारे में अपनी-अपनी नीतियां बना सकते हैं।
क्रेवन कहती हैं कि 19 राज्यों में पिटाई की सजा गैरकानूनी नहीं है। ये ज्यादातर राज्य अमेरिका के दक्षिण में हैं, जिन्हें राजनीतिक रूप से रूढ़िवादी माना जाता है। 2017-18 के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में लगभग 70 हजार छात्रों को स्कूल में कम से कम एक बार मार पड़ी थी।
क्रेवन कहती हैं कि जिन बच्चों को स्कूल में मार पड़ती है, वे पढ़ाई में अन्य छात्रों के मुकाबले कमतर रहते हैं। साथ ही वे गहरी शारीरिक और मानसिक पीड़ा से भी गुजरते हैं। कई मामलों में तो बच्चों के ऊपर इतना भारी असर पड़ता है कि उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ता है।
वह कहती हैं, अगर बच्चा स्कूल जाता है, जहां उसे थप्पड़ मारा जा सकता है, तो यह एक बेहद अकल्पनीय और हिंसक माहौल को जन्म देता है। और हम अपने बच्चों के लिए ऐसा माहौल नहीं चाहते।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुख्य वैज्ञानिक मिच प्रिंस्टीन कहते हैं कि दशकों के शोध से पता चला है कि सजा से अनुचित व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आता और आक्रामकता, गुस्सा और विरोध बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है, जो डिप्रेशन और आत्मसम्मान में कमी जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
प्रिंस्टीन की सलाह है कि अच्छे व्यवहार के लिए इनाम देना, ऐसे बच्चों पर कक्षा में ज्यादा ध्यान देना, उन्हें ज्यादा लंबा ब्रेक देना और उलझनें सुलझाने का प्रशिक्षण देने जैसे विकल्प ज्यादा काम करते हैं।
प्रिंस्टीन कहते हैं, बच्चों पर क्या ज्यादा असर करता है, इसका सबसे ज्यादा पता माता-पिता को होता है। लेकिन यह जरूरी है कि माता-पिता को वैज्ञानिक शोध की थोड़ी जानकारी भी हो जो बार-बार दिखा चुका है कि पिटाई अवांछित व्यवहार में बदलाव लाने का हल नहीं है। - वीके/एए (रॉयटर्स)