जब कभी भारी बारिश के बाद असम में बाढ़ आती है तो पानी में ना सिर्फ घर और स्कूल डूब जाते हैं बल्कि अस्पताल तक जलमग्न हो जाते हैं। पिछले दिनों असम के बराक घाटी में स्थित कछार कैंसर अस्पताल और रिसर्च सेंटर भी बाढ़ के पानी में डूब गया। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैंसर के मरीजों की कीमोथेरेपी सड़क पर ही की जाने लगी। जो मरीज गंभीर होते हैं उनको अस्पताल के अंदर रखा जाता है।
150 बेड वाले कछार कैंसर अस्पताल और रिसर्च सेंटर में पिछले दिनों हालात इतने खराब हो गए कि अस्पताल प्रशासन को मरीजों और कर्मचारियों को ले जाने के लिए जीवन रक्षक जैकेट और रबर नौका का अनुरोध करना पड़ा ताकि सुविधा को चालू रखा जा सके।
अस्पताल के लिए संसाधन जुटाने वाले विभाग की प्रमुख दर्शना आर कहती हैं, "कीमोथेरेपी और प्रारंभिक डायग्नोसिस जैसी प्रक्रिया जिसे हम बाहर कर सकते हैं उसे हम सड़कों पर कर रहे हैं जहां कम से कम जल-जमाव है।"
उन्होंने बताया, "अगर किसी मरीज को इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत होती है तो हम उनका ऑपरेशन कर रहे हैं, लेकिन हमने एनेस्थीसिया के लिए जरूरी नाइट्रस गैस की कमी के कारण सर्जरी की कुल संख्या को कम कर दिया है।"
साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह डॉक्टरों ने चार ऑपरेशन किए थे। जबकि बाढ़ की स्थिति खराब होने से पहले डॉक्टरों ने 20 ऑपरेशन किए थे। दर्शना आर कहती हैं अस्पताल को पीने का साफ पानी, भोजन, पॉवर बैक अप के लिए डीजल और भोजन बनाने के लिए ईंधन की सख्त जरूरत है।
असम सरकार का कहना है कि ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित कई अन्य क्षेत्रों में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया है। लेकिन कछार और उसके पास के करीमगंज और हाईलाकांदि में अब भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
पिछले हफ्तों में असम और पड़ोसी देश बांग्लादेश में आई भयानक बाढ़ के कारण 151 लोगों की मौत हुई और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। कुछ निचले इलाकों में घर पानी में डूब गए हैं।
दर्शना आर बताती हैं कि बाढ़ के पहले अस्पताल के सभी बेड भरे हुए थे लेकिन बाढ़ से स्थिति खराब होने से मरीजों को घर भेज दिया गया या फिर सुरक्षित स्थानों पर। उनके मुताबिक फिलहाल अस्पताल के वार्डों में 85 मरीज हैं।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या बुधवार को बढ़कर 31 लाख हो गई।
पड़ोसी देश बांग्लादेश में बाढ़ के कारण 84 लोगों की मौत हो गई है और 45 लाख से अधिक लोग फंसे हुए हैं। करीब 5,900 लोगों को पानी से जुड़ी बीमारियां हो गईं हैं। पिछले हफ्ते ही यूनिसेफ ने बांग्लादेश में लाखों बच्चों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 25 लाख डॉलर आपातकालीन मदद की अपील की थी।
बांग्लादेश में यूनिसेफ के प्रतिनिधि शेल्डन येत्ज ने कहा, "पूर्वोत्तर बांग्लादेश में अचानक आई बाढ़ से बनी स्थिति पिछले एक हफ्ते में खराब हो गई। 35 लाख प्रभावित बच्चों को पीने के साफ पानी की तत्काल जरूरत है। यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है क्योंकि अभी एक सप्ताह पहले केवल 15 लाख बच्चे ही सुरक्षित पेयजल से वंचित थे।"