हिंदी थोपने का आरोप और तीन-भाषा फॉर्मूले की चुनौतियां
भाषा, भूगोल और संस्कृति की विविधता वाले देश के गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी को थोपने की कथित कोशिशें राजनीतिक और सामाजिक तनाव का कारण बनती रही हैं। खासतौर पर दक्षिण भारत के राज्य हिंदी के जरिए केंद्र की सरकारों पर विस्तारवाद का आरोप लगाते रहे हैं। तमिलनाडु में पहले से दो-भाषा फॉर्मूला लागू है- तमिल और अंग्रेजी। कमोबेश ऐसा ही विरोध केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यो में भी हो रहा है।