दुनिया की सबसे बड़ी नदी, अमेजन और दुनिया भर के ताजे पानी का 12 फीसदी हिस्सा ब्राजील में है। इस वजह से लंबे समय तक ब्राजील में यह धारणा बनी रही कि उनके पास पानी पर्याप्त मात्रा में है। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
मैप बायोमास रिपोर्ट के तकनीकी समन्वयक, जूलियानो शिर्मबक का कहना है, "हमें यह धारणा तोड़ने की सख्त जरुरत है क्योंकि हम पानी के इस्तेमाल और उसकी उपलब्धता से जुड़ी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं।”
पिछले चार सालों से ब्राजील का एक प्लेटफॉर्म, 1985 से लेकर अब तक के सैटेलाइट तस्वीरों को खंगाल रहा है ताकि महीने-दर-महीने ब्राजील में पानी से ढंके इलाकों की स्थिति को समझा जा सके और उसका हिसाब रखा जा सके।
पिछले कई दशकों से यह इलाके लगातार घट रहे हैं। हाल के वर्षों में तो हालात और भी खराब हो गए है। सिर्फ 2023 से 2024 के बीच में ब्राजील ने लगभग 4 लाख हेक्टेयर पानी से ढंके इलाकों को खोया है। आकार में इतने बड़े इलाके का मतलब है सिंगापुर जैसे पांच शहर।
पिछले साल ब्राजील, उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरी तरह से पानी के लिए बेहाल रहा। सरकार ने पांच बड़ी नदियों में पानी की कमी की घोषणा की। महीनों तक सूखा पड़ने के बाद अमेजन वर्षावनों और पंतानल वेटलैंड्स को भयानक आग का भी सामना करना पड़ा।
ब्राजील जैसे ताजे पानी से भरपूर देश को भी जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। अगर जंगलों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और गलत प्रबंधन को रोका नहीं जाएगा तो यह समस्या और भयंकर होती चली जाएगी।
जल संकट की मार ब्राजीलवासियों की जेब पर
2001, 2014-2015 और 2021 में ब्राजील को तीन बड़े जल संकटों का सामना करना पड़ा है। इन सालों में बहुत कम बारिश हुई थी, जिस कारण पानी की कटौती की गई, फसलें खराब हो गईं और बिजली संकट भी गंभीर हो गया क्योंकि ब्राजील लगभग 60 फीसदी बिजली पानी से बनाता है। इन सब का असर सीधा आम लोगों की जेब पर पड़ा।
नासा की हाइड्रोलॉजिकल साइंसेज लैब की वैज्ञानिक, ऑगस्तो गेतिरना ने कहा, "2021 के सूखे के दौरान, बिजली के दाम बढ़ गए थे, खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई थी।”
इसका असर दुनिया भर में महसूस किया गया क्योंकि ब्राजील दुनिया में बीफ, सोया, मक्का और चीनी के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। गेतिरना कहती हैं, "ब्राजील में जल संकट का मतलब है पूरी दुनिया में संकट।”
'ब्राजील के जल भंडार' में पेड़ों की कटाई
ब्राजील की सबसे बड़ी ताकत, उसका कृषि उद्योग ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गया है। जिसकी वजह से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है।
फसलें और पशुओं के लिए चारागाह बनाने के लिए बहुत बड़ी जमीन की जरूरत होती है। इतिहास बताता है कि कंपनियों और किसानों ने यह जमीन अवैध तरीके से जंगलों को काटकर बनाई है।
अब सबसे ज्यादा वनों की कटाई सेराडो क्षेत्र में हो रही है। यह एक मैदानी इलाका है, जिसे लोग "ब्राजील का जल भंडार" भी मानते हैं। यहां के पेड़ों की जड़ें जमीन के अंदर बहुत गहराई तक होती हैं, जो बारिश के पानी को जमीन के नीचे जल स्रोतों तक पहुंचाती हैं। इन्ही जल स्रोतों से देश के कुछ सबसे अहम झरनों और नदियों को पानी मिलता है।
ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (आईएनपीई) के अनुसार, अगस्त 2023 से जुलाई 2024 के बीच सेराडो क्षेत्र से 8,174।17 वर्ग किलोमीटर वनस्पति खत्म हो गई जो अमेजन में हुई वनों की कटाई से लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर अधिक है।
आईएनपीई की वरिष्ठ वैज्ञानिक, लुसियाना गैत्ती का कहना है, "ब्राजील को पूरी दुनिया के लिए एक फार्म में बदलने की योजना पूरे इकोसिस्टम को खत्म कर रही है।” इसका असर सिर्फ ब्राजील पर नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
'हवाई नदियां' बारिश का अहम स्रोत
दुनिया का सबसे बड़ा वर्षावन, अमेजन, ब्राजील के जल चक्र में बहुत अहम भूमिका निभाता है। पूरब से चलने वाली हवाएं अटलांटिक महासागर से वाष्प बना पानी लेकर अमेजन क्षेत्र तक पहुंचती हैं, जहां यह बारिश के रूप में गिरती है। पेड़ पानी को बड़े पंपों की तरह सोखते हैं और फिर उसे वायुमंडल में वापस छोड़ देते हैं। इस तरह जंगल खुद अपनी बारिश का एक बड़ा हिस्सा बनाता है।
हालांकि पेड़ों से निकलने वाली नमी का कुछ हिस्सा हवा के साथ एंडीज पर्वतों के पार चला जाता है और आगे अर्जेंटीना और पराग्वे तक पहुंच जाता है। जहां यह नम हवाएं ही "हवाई नदियां” कहलाती हैं।
ब्राजील के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च इन अमेजोनिया (आईएनपीए) के फिलिप फर्नसाइड का कहना है, "अगर आप अमेजन वर्षावन को एक विशाल पशु-चरागाह में बदल देंगे, तो ये हवाई नदियां' नहीं बचेंगी”।
इसका सबसे ज्यादा असर साओ पाउलो और रियो डी जेनेरो जैसे शहरों पर पड़ेगा, जहां हवाई नदियां' बारिश का एक अहम स्रोत हैं।
फर्नसाइड ने कहा, "ब्राजील के उस हिस्से में अब और पानी खोने की कोई गुंजाइश नहीं बची है।" उन्होंने याद दिलाया कि 2014 के संकट के दौरान साओ पाउलो किस तरह पानी के लिए जूझ रहा था।
फर्नसाइड ने कहा, "शहर का पानी लगभग खत्म ही हो गया था, अगर वह सूखा कुछ और समय तक चला होता, तो यह एक बहुत बड़ी त्रासदी बन जाता।”
जलवायु परिवर्तन से समस्या और गंभीर हुई
ब्राजील में हाल के वर्षों में जो सूखा पड़ा है, इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन भी है। बेशक, बढ़ती जल खपत और अल नीनो जैसी प्राकृतिक घटनाओं की भी भूमिका रही है। जब ग्रीन हाउस गैसें वातावरण को गर्म करती हैं, तो इससे तापमान बढ़ता है और बारिश का पैटर्न भी जटिल तरीके से बदलने लगता है।
अब बारिश लगातार संतुलित तरीके से होने की बजाय अक्सर ज्यादा जोर से और लम्बे अंतराल में होती है। इसी वजह से पिछले साल ब्राजील का एक हिस्सा भयंकर सूखे से जूझ रहा था, जबकि दूसरा हिस्सा भयानक बाढ़ में डूबा हुआ था।
ऐसी घटनाओं से यह साफ है कि ब्राजील के लिए अपने ताजे पानी के स्रोतों का सही प्रबंधन करना अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।
गेतिरना कहती है, "ब्राजील की अर्थव्यवस्था और नीतियां इस धारणा पर बनी हैं कि यह पानी से भरपूर देश है। पानी के प्रबंधन का ज्यादातर ध्यान सिर्फ पनबिजली के लिए दिया गया है।”
इसका मतलब हुआ है कि पानी के स्रोतों को प्रदूषण से, अत्यधिक उपयोग या सूखे से बचाने की नीतियों को अकसर नजरअंदाज किया गया है। गेतिरना का कहना है कि ब्राजील को इस स्थिति से निपटने के लिए अधिक से अधिक डेटा इकट्ठा करने की जरूरत है।
जमीन के ऊपर और नीचे के पानी के आंकड़े
मैपबायोमास रिपोर्ट के समन्वयक शिर्मबक का कहना है कि नदियों और झीलों की सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण करके मौसम से जुड़ी घटनाओं का पता लगाया जा सकता है। क्योंकि पानी से ढंके क्षेत्र यह दिखा सकता है कि बारिश का पैटर्न साल दर साल कैसे बदले है।
उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन की बात करें तो यह एक ऐसा पैमाना है जो जल्दी असर दिखाता है।"
इसके अलावा, गेतिरना को उम्मीद है कि ब्राजील अब जमीन के नीचे मौजूद पानी का डेटा इकट्ठा करने की दिशा में भी कदम बढ़ाएगा। क्योंकि देश की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी अपनी जरूरतें सतह के पानी (नदियों, झीलों) से पूरी करती है, ऐसे में भूजल एक बैकअप की तरह काम कर सकता है।
गेतिरना कहती है, "अगर आपकी नदी सूख जाए, तो आप जमीन के नीचे के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको यह जानना जरूरी है कि किसी जल भंडार से कितना पानी निकाला जा सकता है, उसे नुकसान पहुंचाए बिना।”
फिलहाल ब्राजील लगभग 400 स्थानों पर ही अपने भूजल की निगरानी करता है, जबकि उत्तर अमेरिका में यह संख्या 16,000 है और भारत में 22,000 है।
इसके अलावा भी कई और बातें मापने की आवश्यकता है जैसे, किस समुदाय को कितना पानी चाहिए? उन्हें कौन से जल स्रोत उपलब्ध हैं? उन स्रोतों में कितना प्रदूषण है?
जब तक ब्राजील अपने ताजे पानी की सही निगरानी और प्रबंधन नहीं करेगा, तब तक यह तय कर पाना मुश्किल है कि उसके जल भंडार क्या सच में इतने पर्याप्त है, जितना दावा किया जाता है।