भारत और चीन की प्रतिद्वंद्विता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समय समय पर दिखती है। लेकिन दोनों विकासशील देशों में कई समानताएं हैं और वो संसाधनों से लेकर समस्याओं तक में हैं। आइए देखें भारत और चीन किन किन मामलों में एक जैसे हैं।
आबादी
दुनिया में जब भी आबादी का जिक्र होता है, इन दोनों का नाम सबसे पहले आता है। दोनों देशों में जनसंख्या विशाल है लेकिन चीन ने उसकी बेतहाशा व़ृद्धि को थाम लिया है। भारत में यह अब भी नियंत्रण से बाहर है।
प्रदूषण
ज्यादा आबादी और तेज आर्थिक विकास ने पर्यावरण के मामले में दोनों देशों का रिकॉर्ड खराब किया है। शहर हो या गांव हर तरह के प्रदूषण की समस्या दोनों देशों में लगभग एक जैसी है।
आर्थिक प्रगति
तमाम मुश्किलों के बावजूद दोनों देशों ने अपनी शानदार आर्थिक प्रगति से दुनिया को अचंभित किया है। यह दोनों देश ना सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं।
औपनिवेशिक अतीत
भारत और चीन दोनों का औपनिवेशिक अतीत है। भारत जहां ब्रिटेन के अधीन रहा तो चीन जापान और ब्रिटेन के नियंत्रण में। भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली तो साम्यवादी चीन 1949 में अस्तित्व में आया।
साझी सीमा
भारत और चीन के बीच 4,000 किलोमीटर से लंबी साझी सीमा है। इस सीमा की अपनी समस्याएं हैं और दोनों इससे जूझ रहे हैं। कई बार यही सीमा आपसी विवाद का भी कारण बन जाती है। 1962 का युद्ध ऐसे ही विवाद का नतीजा था।
जीडीपी
भारत और चीन जीडीपी के लिहाज से दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं। चीन जहां इस लिहाज से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है वहीं भारत छठे नंबर पर है। भारत के शीघ्र ही पांचवें नंबर पर पहुंचने के आसार हैं।
तेज आर्थिक विकास
चीन और भारत की अर्थव्यवस्थाओं का विकास दुनिया को अचंभित कर रहा है। हालांकि इसमें इनकी विशाल आबादी की बड़ी भूमिका है लेकिन सात फीसदी के आसपास रहने वाली विकास दर ने कई देशों को अपनी नीतियों के बारे में सोचने पर विवश किया है।
प्राचीन सभ्यताएं
चीन और भारत की सभ्यताएं अति प्राचीन है। इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं को यह लुभाती रही है। दुनिया की पुरानी सभ्यताओं के प्रमाण इन देशों में मिलते हैं और दोनों देशों के लोग इसे लेकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
माओवाद
माओ त्से तुंग ने चीन में क्रांति का सूत्रपात किया और देश के जननायक बन गए। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना उन्हीं की नीतियों और कोशिशों की देन है। माओ की विचार से प्रभावित बहुत से लोग भारत में बदलाव के लिए सक्रिय हैं।
पड़ोसी
पाकिस्तान और नेपाल के साथ ही म्यांमार, भूटान, अफगानिस्तान जैसे देश भारत और चीन दोनों के पड़ोसी हैं। इन देशों के साथ रिश्तों को लेकर भी भारत चीन में प्रतिद्वंद्विता है जो कई बार तनाव पैदा करते हैं।
अलगाववाद
अलगाववाद की समस्या से दोनों देश जूझ रहे हैं। चीन के लिए तिब्बत, हांगकांग, शिनजियांग और अंदरूनी मंगोलिया तो भारत के लिए कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्य।
महिलाओं की स्थिति
महिलाओं को लेकर भेदभाव का व्यवहार इन दोनों देशों में करीब करीब एक जैसा है। बहुत कोशिशों के बाद भी पुरुष और स्त्री के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों में बड़ा फर्क बना हुआ है।
इंटरनेट
इन दोनों देशों में इंटरनेट बहुत लोकप्रिय है। सिर्फ विकसित इलाके ही नहीं जहां बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है वहां भी इंटरनेट का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है।
रेल नेटवर्क
रेल नेटवर्क के मामले में दोनों देश दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं। चीन में करीब 1 लाख किलोमीटर का रेल नेटवर्क है और वह दूसरे नंबर पर है जबकि 65,000 किलोमीटर के साथ भारत चौथे नंबर पर है। भारत 8 अरब सालाना यात्रियों के साथ शीर्ष पर है।