मौसम से तय हुआ नाक का आकार

शनिवार, 18 मार्च 2017 (11:30 IST)
बात-बात पर अपनी नाक को बीच में लाने वाले लोगों को जानकर हैरानी होगी कि नाक का संबंध इज्जत से नहीं जलवायु से होता है। पता चला है कि पतली नाक वाले काम में बेहतर होते हैं और उनमें संतान पैदा करने की क्षमता भी अधिक होती है।
अमेरिका की पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नाक से जुड़े कुछ ऐसे मजेदार तथ्य पेश किये हैं। शोधकर्ताओं ने पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया, पश्चिमी अफ्रीका और उत्तरी यूरोपीय के हजारों लोगों की थ्री-डी इमेज का अध्ययन किया और इसमें पाया कि नाक के आकार को तय करने में तापमान, आर्द्रता और जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों की अहम भूमिका होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक गर्म और नम जलवायु में रहने वालों लोगों की नाक अक्सर अधिक चौड़ी होती है। वहीं ठंडे और सूखे प्रदेशों में रहने वाले लोगों की नाक पतली होती है।
 
नाक का मुक्य काम तो सांस लेना और गंध की पहचान करना है लेकिन इसका आकार भी बहुत अहम है। नाक में मौजूद चिपचिपा तत्व और रक्त कोशिकायें, सांस में अंदर ली गई हवा को श्वसन तंत्र के संवेदनशील हिस्सों में भेजने से पहले गर्म और आर्द्र करने में मदद करती है।

साइंस पत्रिका 'प्लॉस जेनेटिक्स' के हवाले से शोधकर्ता अरस्लान जैदी ने लिखा है कि संकरी जगह सांस के माध्यम से खींची गई हवा और ऊतकों के बीच संपर्क बढ़ाता है, जो नमी और गर्मी के लिये अहम है।
 
शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन लोगों की नाक के छिद्र पतले होते हैं वे ज्यादा बेहतर कार्य करते हैं और संतान पैदा करने की उनकी क्षमता भी मोटी नाक वाले लोगों की तुलना में अधिक होती है। यह शोध थॉमसन नियम का समर्थन करता है। थॉमसन नियम के मुताबिक गर्म और आर्द्र जलवायु में रहने वाले लोगों की तुलना में ठंडी और शुष्क जलवायु में रहने वाले लोगों की नाक लंबी और पतली होती है। इस नियम को ब्रिटेन के मानव विज्ञानी आर्थर थॉमसन (1858-1935) ने पेश किया था।
 
जैदी ने बताया कि इसके पहले खोपड़ी मापने जैसे मामलों ने थॉमसन नियम का समर्थन किया था और अब इसके अध्ययन का विस्तार नाक के आकार तक पर किया जा रहा है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने नाक की चौड़ाई, लंबाई, ऊपरी हिस्से आदि का अध्ययन किया। जैदी ने कहा, हमने एक बहुत ही सरल परिकल्पना के साथ परीक्षण किया है जिसका संबंध जटिल मानव इतिहास से था। उन्होंने कहा कि अब भी कई चीजों को पता किया जाना बाकी है।
 
- एए/आरपी (रॉयटर्स)

वेबदुनिया पर पढ़ें