यूएन: पूर्ण लैंगिक समानता अभी भी सदियों दूर, लगेंगे अभी भी 300 साल और

DW

शनिवार, 10 सितम्बर 2022 (18:37 IST)
इस साल के अंत तक 38 करोड़ से अधिक महिलाएं और लड़कियां अत्यधिक गरीबी के गर्त में गिर जाएंगी और 1 दिन में 2 डॉलर से भी कम पर जीने के लिए मजबूर हो जाएंगी। इसके समाधान के लिए वर्तमान में जिस गति से प्रगति हो रही है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने में 300 और साल लगेंगे।
 
महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रही यूएन संस्था (यूएन विमिन) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (यूएनडीईएसए) ने एक ताजा रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि हाल के विभिन्न संकटों ने दुनिया के लैंगिक अंतर को और बड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मुद्दे के समाधान के लिए वर्तमान में जिस गति से प्रगति हो रही है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने में 300 और साल लगेंगे।
 
यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की एक सहायक संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन द्वारा तैयार की गई है। संगठन कहता है कि लैंगिक समानता हासिल करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में प्रगति की वर्तमान दर पर कानूनी संरक्षण में व्याप्त कमियों को दूर करने और भेदभावपूर्ण कानूनों को हटाने में 286 साल तक का समय लगेगा।
 
यूएन विमिन के मुताबिक इसके अलावा महिलाओं को कार्यस्थल में शक्ति और नेतृत्व के मामले में समान प्रतिनिधित्व के लिए 140 साल और राष्ट्रीय संसदीय संस्थानों में समान प्रतिनिधित्व के लिए कम से कम 40 साल और इंतजार करना होगा। इस रिपोर्ट में लैंगिक समानता के लिए भविष्य की संभावनाएं संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत 2030 तक सार्वभौमिक लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए निर्धारित समय से बहुत दूर हैं।
 
यूएन विमिन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने कहा कि हम जैसे-जैसे 2030 के आधे रास्ते के करीब पहुंच रहे हैं, यह महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। बहाउस ने आगे कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम एकजुट होकर महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रगति में तेजी लाने के लिए निवेश करें।
 
संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी ने आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग के सहयोग से यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियां जैसे कि कोविड-19 महामारी और उसके बाद हिंसक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और महिलाओं के खिलाफ यौन हमले के कारण लैंगिक समानता की खाई और चौड़ी हो गई है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के अंत तक लगभग 38.3 करोड़ महिलाओं और लड़कियों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया जाएगा और उन्हें प्रतिदिन 1.90 अमेरिकी डॉलर में जीवन बिताना होगा। इसकी तुलना में समान स्थिति से पीड़ित पुरुषों और लड़कों की संख्या लगभग 36.8 करोड़ होगी।
 
एए/वीके (एपी, एएफपी)

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