ईरान के मंत्री और पुलिस पर यूरोपीय संघ का प्रतिबंध

DW

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022 (09:33 IST)
-एनआर/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)
 
यूरोपीय संघ ने ईरान की मॉरैलिटी पुलिस पर प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले महीने कथित मारपीट की वजह से महसा अमीनी की हिरासत में मौत हो गई थी,  तब से वहां और दुनिया के कई हिस्सों में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। ईरान में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर प्रशासन और पुलिस की सख्ती की लगातार खबरें आ रही हैं।
 
ईरान में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर प्रशासन और पुलिस की सख्ती की लगातार खबरें आ रही हैं। प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़पों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। ईरान का कहना है कि सुरक्षा बलों के कई सदस्यों की भी मौत हुई है। यूरोपीय संघ ने 'मॉरैलिटी पुलिस के साथ ही रेवॉल्यूशनरी गार्ड के साइबर डिवीजन के लिए जिम्मेदार मंत्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। यह डिवीजन देश में प्रदर्शनों के दौर में इंटरनेट पर पाबंदियां लगाने में शामिल है।
 
प्रतिबंधों की सूची संघ के प्रशासनिक गजट में छापी गई है। इसके मुताबिक कथित मॉरैलिटी पुलिस के प्रमुख, रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स के बासिज अर्द्धसैनिक बल, नेशनल पुलिस की एक वर्दीधारी इकाई और इन सब बलों के प्रभारियों पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें शामिल 4 संगठनों के 11 लोगों पर यूरोपीय संघ का वीजा प्रतिबंध लागू होगा। साथ ही उनकी संपत्तियां जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं। ईरान ने इन प्रतिबंधों का तत्काल जवाब देने की बात कही है।
 
प्रतिबंधों की आधिकारिक सूचना आने से पहले जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने मॉरैलिटी पुलिस के बारे में कहा था कि जिस तरह के अपराध वहां हो रहे हैं, उनमें यह शब्द सचमुच उचित नहीं है। प्रतिबंधों की सूची ऐसे समय में जारी की गई है, जब ईरान में घटनाएं नाटकीय रूप ले रही हैं। तेहरान की कुख्यात एविन जेल में आग लगने के कारण कई लोगों की जान गई है। इस जेल में ईरान के राजनीतिक कैदी, दोहरी नागरिकता वाले लोग और विदेशियों को रखा जाता है।
 
महसा अमीनी की मौत के बाद प्रदर्शन
 
22 साल की महसा अमीनी को हिजाब नहीं पहनने के लिए हिरासत में लिया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी। उसके बाद हुए प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से दबाने की कोशिशों पर यूरोपीय संघ चिंता में था। विरोध प्रदर्शन धीरे-धीरे ईरान में सत्ताविरोधी प्रदर्शनों में बदल रहा है। इनमें शामिल होने वाले लोग नये मौलवियों के नेतृत्व वाले शासन से मुक्ति की मांग कर रहे हैं।
 
प्रतिबंधों की सूची में कहा गया है कि मॉरैलिटी पुलिस और उसके तेहरान और राष्ट्रीय प्रमुख अमीनी की मौत के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें लिखा गया है कि भरोसेमंद रिपोर्टों और गवाहों के मुताबिक अमीनी को बुरी तरह पीटा गया और हिरासत में दुर्व्यवहार किया गया जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और 16 सितंबर 2022 को उनकी मौत हो गई।
 
आरोप है कि अमीनी ने हिजाब ठीक से नहीं पहना था। सूचना और प्रसारण मंत्री ईसा जेरपोर को ईरान में विरोध प्रदर्शन बढ़ने पर इंटरनेट ब्लैकआउट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। संघ का कहना है कि इसके जरिये ईरानी लोगों को सूचना हासिल करने और विचारों की आजादी में बाधा डाली गयी। बासिज फोर्स को प्रदर्शनकारियों पर खासतौर से ज्यादा कठोरता दिखाने के लिए जिम्मेदार माना गया है जिसके नतीजे में कि बहुत से लोगों की जान गई।
 
पश्चिमी देश और ईरान के संबंध बिगड़े
 
प्रतिबंधों का फैसला करने के लिए बुलाई गई यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों में जाते हुए बेयरबॉक ने कहा कि ईरान में जो दुर्व्यवहार हो रहा है उसकी ओर से हम अपनी आंखें नहीं मूदेंगे। अगर हिंसा जारी रहती है तो और ज्यादा प्रतिबंध लगेंगे।
 
अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने भी ईरान पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए अपनी तरफ से प्रतिबंध लगाये हैं। उधर ईरान ने इसके जवाब में कहा है कि अमेरिका और पश्चिमी देश सत्ताविरोधी प्रदर्शनों को हवा दे रहे हैं। ईरान के साथ पश्चिमी देशों के संबंधों में खटास ऐसे समय में आई है जब 2015 के परमाणु करार को दोबारा लागू करने की उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं। यूरोपीय संघ पिछले डेढ़ साल से इस करार को दोबारा लागू कराने की कोशिश में है लेकिन अब तक नाकामी ही हाथ आई है।
 
इस बीच ईरान पर रूस को ड्रोन देने के आरोप भी लग रहे हैं जिनका इस्तेमाल रूस यूक्रेन पर हमले में कर रहा है। ताजा ड्रोन हमलों में राजधानी कीव को निशाना बनाया गया है। ईरान का कहना है कि उसने युद्ध शुरू होने के बाद रूस को ड्रोन की सप्लाई नहीं दी है।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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