दुनिया का सैन्य खर्च अपने सर्वोच्च स्तर पर

DW

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024 (07:56 IST)
दुनिया भर में सेनाओं और हथियारों पर फिलहाल जितना खर्च हो रहा है, उतना अब तक कभी नहीं हुआ। 2023 में इसने एक नया रिकॉर्ड कायम किया।
 
स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) का कहना है कि दुनिया में इस वक्त हथियारों, गोला-बारूद और दूसरे सैन्य साज-ओ-सामान पर विभिन्न देश जितना धन खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ।
 
सोमवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में सिपरी ने कहा है कि 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया। 2022 में यह खर्च 22.4 खरब डॉलर था।
 
2009 के बाद यह एक साल में सबसे बड़ी वृद्धि है और लगातार नौवां साल है जब खर्च बढ़ा है। इस वृद्धि में जिन दस देशों का योगदान सबसे ज्यादा है उनके सैन्य खर्च में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध की भी इस वृद्धि में बड़ी भूमिका है।
 
कूटनीति का इस्तेमाल घटा
सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो ने डीपीए को बताया, "हम जिन क्षेत्रों के खर्चों पर नजर रखते हैं, उन सभी में वृद्धि हुई है। इससे संकेत मिलता है कि दुनिया अब कम सुरक्षित महसूस कर रही है और कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर जा रही है।”
 
स्काराजातो ने कहा कि देश तनाव और अस्थिरता महसूस करते हैं और उसे हल करने के लिए कूटनीतिक तरीकों का सहारा लेने के बजाय सख्त सुरक्षा उपायों पर निर्भर हो रहे हैं, जिससे सैन्य खर्च में निवेश बढ़ रहा है।
 
उन्होंने कहा, "(वृद्धि के) मुख्य कारकों में से एक तो रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध है। हमने देखा है कि कैसे यूरोप में सैन्य खर्चएकाएक बढ़ा है।”
 
सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी सबसे ऊपर बना हुआ है। 2023 में अमेरिका ने 916 अरब डॉलर इस मद में खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37 फीसदी यानी एक तिहाई से भी ज्यादा है।
 
दूसरे नंबर पर चीन है, जिसका खर्च अमेरिका से लगभग एक तिहाई है। उसने 296 अरब डॉलर खर्च किए, जो कुल खर्च का 12 फीसदी है। यह 2022 से 6 फीसदी ज्यादा है। इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया।  
 
भारत चौथा सबसे बड़ा देश
2022 में जो सबसे ज्यादा खर्च करने वाले पांच देश थे, वे 2023 में ज्यों के त्यों बने रहे हैं। तीसरे नंबर पर रूस है। उसके बाद भारत और सऊदी अरब का नंबर है। 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, तब के बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है। रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है।
 
सैन्य खर्च के मामले में चौथा सबसे बड़ा देश भारत है जिसने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए। 2022 के मुकाबले यह 4.2 फीसदी ज्यादा था। यूक्रेन सैन्य खर्च के मामले में आठवां सबसे बड़ा देश रहा। उसका खर्च 51 फीसदी बढ़कर 64.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो उसकी कुल जीडीपी का 37 फीसदी है।
 
सैन्य खर्च में सबसे बड़ी वृद्धि डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में देखी गई, जहां सरकार और विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है। उसका खर्च 105 फीसदी बढ़ा है।
 
मध्य पूर्व में सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देश इस्राएल ने 2022 से 24 फीसदी ज्यादा, 27.5 अरब डॉलर खर्च किए। उधर ईरान क्षेत्र में चौथा सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश रहा जिसने 10.3 अरब डॉलर का कुल खर्च किया। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक ईरान में सेना पर होने वाला खर्च 2019 में 27 फीसदी था जो अब बढ़कर 37 फीसदी हो चुका है।
विवेक कुमार (डीपीए)

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