खरबों डॉलर की बर्बादी बचाने के लिए सब्सिडी में तुरंत बदलाव जरूरी : यूएन

DW

बुधवार, 15 सितम्बर 2021 (19:38 IST)
संयुक्त राष्ट्र ने दुनियाभर की सरकारों से आग्रह किया है कि कृषि सब्सिडी के मुद्दे पर ज्यादा उग्र सुधारवादी तरीके से सोचा जाए। अपनी एक रिपोर्ट में यूएन ने कृषि सब्सिडी में बड़े बदलावों की जरूरत बताई है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कृषि सब्सिडी पर दोबारा सोचे जाने की जरूरत है। एक रिपोर्ट में यूएन ने कहा है कि 80 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी अनुदान या तो कीमतों को प्रभावित करता है, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है या असमानता बढ़ाता है।

कृषि सब्सिडी की व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव की जरूरत बताते हुए यूएन ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की है। कृषि सब्सिडी एक तरह का सरकारी खर्च है जो किसानों की मदद के लिए विभिन्न देश करते हैं। यूएन का अनुमान है कि आने वाले सालों में यह खर्च बेतहाशा बढ़ सकता है।

80 फीसदी सब्सिडी की पुनर्योजना जरूरी
संयुक्त राष्ट्र की तीन एजेंसियों ने दुनियाभर की सरकारों से आग्रह किया कि अपने कृषि क्षेत्र की मदद के लिए किए जा रहे खर्चों का पुनर्गठन करें। रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के अलग-अलग देश सालाना कुल मिलाकर लगभग 540 अरब डॉलर सब्सिडी पर खर्च करते हैं। इसमें से करीब 470 अरब डॉलर को पुनर्गठित किए जाने की जरूरत है ताकि कृषि क्षेत्र को ज्यादा स्थिर, पर्यावरण के अनुकूल और न्यायपूर्ण बनाया जा सके।

विश्व खाद्य और कृषि संगठन के महानिदेशक कू डोंग्यू ने कहा कि यह रिपोर्ट सरकारों के लिए चेतावनी जैसी है। तुरंत कदम उठाने की जरूरत बताते हुए डोंग्यू ने कहा कि इससे चार चीजें बेहतर होंगी : पोषण, उत्पादन, पर्यावरण और जीवन।

सब्सिडी समाप्त न करो, बदलो
'अरबों डॉलर का मौका' (A Multi-Billion Dollar Opportunity) नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट को अगले हफ्ते होने वाले संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व्यवस्था सम्मेलन से ठीक पहले सार्वजनिक किया गया है। इस अध्ययन के लिए संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मिलकर कराया है।

रिपोर्ट के लेखकों ने जोर देकर कहा कि वे सब्सिडी खत्म करने की बात नहीं कर रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि सब्सिडी खत्म करने की जगह हम कृषि उत्पादकों को मिलने वाली मदद की पुनर्योजना की बात कर रहे हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल जहां भी सब्सिडी दी जा रही है, उनमें से अधिकतर या तो कीमतों में राहत के रूप में दी जा रही है या फिर आयात-निर्यात पर कर के रूप में। कुछ जगहों पर किसी खास उत्पाद या फसल को बढ़ावा देने के लिए भी धन से मदद की जा रही है।

बढ़ता जाएगा खर्च
शोध कहता है, यह नाकाफी है, कीमतों को प्रभावित करती है, लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाती है, पर्यावरण के लिए खतरनाक है और अक्सर असमान होती है, क्योंकि छोटे किसानों के बजाय कृषि उद्योगों को प्राथमिकता देती है।

संयुक्त राष्ट्र का यह भी अनुमान है कि आने वाले एक दशक में कृषि सब्सिडी के रूप में सरकारी खर्च तीन गुना तक बढ़ सकता है। रिपोर्ट कहती है कि 2030 तक यह खर्च 18 खरब डॉलर तक पहुंच सकता है, इस कारण तुरंत कदम उठाने की जरूरत और ज्यादा है।

यूएन के मुताबिक 2020 में 81 करोड़ से ज्यादा लोग भूखमरी का सामना कर रहे थे, 2.37 अरब लोगों को सालभर समुचित भोजन नहीं मिल पाया और तीन अरब लोग एक स्वस्थ भोजन का खर्च नहीं उठा सके।
- वीके/एए (एएफपी, डीपीए)

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी