भारत: लाखों आवारा कुत्तों के लिए कैसे बनेगा शेल्टर

DW

बुधवार, 13 अगस्त 2025 (07:51 IST)
आमिर अंसारी
राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आवारा कुत्तों को पकड़ कर शेल्टर में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पशु अधिकार संगठन, पशु प्रेमी और आवारा कुत्तों की देखभाल करने वाले इसकी आलोचना कर रहे हैं।
 
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के नगर निकायों को सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को तत्काल हटाने और उन्हें शेल्टर में रखने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने कहा कि इन जानवरों को सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
 
जबकि, कई लोगों ने इस आदेश का स्वागत किया, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि नागरिक निकायों के पास इतने बड़े काम को करने के लिए जमीन और पैसे की कमी है और चेतावनी दी कि इससे इंसानों और कुत्ते के बीच संघर्ष और भी बदतर हो सकता है।
 
'पेटा' का विरोध
पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया (पेटा इंडिया) की पशु चिकित्सा मामलों की वरिष्ठ निदेशक डॉ. मिनी अरविंदन ने एक बयान जारी कर सामूहिक निष्कासन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया। पेटा इंडिया ने कहा कि दिल्ली के कुत्तों को जबरन हटाने से जानवरों और लोगों दोनों के लिए "अराजकता और पीड़ा" पैदा होगी।
 
उन्होंने कहा, "कुत्तों को विस्थापित करना और उन्हें जेल में डालना कभी कारगर नहीं रहा। इस तरह की कार्रवाइयों से कुत्तों की आबादी पर अंकुश नहीं लगेगा, रेबीज को कम करने या कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी।"
 
उन्होंने कहा कि सरकार को इसके बजाय नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए, अवैध पालतू जानवरों की दुकानों और प्रजनकों को बंद करना चाहिए तथा गोद लेने को प्रोत्साहित करना चाहिए।
 
मेनका गांधी ने उठाए सवाल
पशु अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "यह संभव नहीं है" और "गुस्से में दिया गया एक बहुत ही अजीब निर्णय" है।
 
मेनका गांधी ने बड़े पैमाने पर तार्किक, वित्तीय और सामाजिक चुनौतियों की चेतावनी दी, जिनमें सरकारी शेल्टर की अनुपस्थिति, हजारों नई सुविधाओं की आवश्यकता, तथा अधिकारियों और कुत्तों को भोजन देने वालों के बीच झड़प की संभावना शामिल है।
 
उन्होंने कहा, "इन शेल्टर को बनाने के लिए आपको कम से कम 15,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे... आपको ऐसी जगहों पर 3000 शेल्टर ढूंढने होंगे जहां कोई नहीं रहता। आप इतनी सारी जगहें कैसे ढूंढ़ेंगे?, यह दो महीने में नहीं हो सकता... आपको 1.5 लाख लोगों को सिर्फ सफाई कर्मचारी के तौर पर नियुक्त करना होगा, जिस पर भी करोड़ों रुपये खर्च होंगे।"
 
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा था
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि दिल्ली के सभी मोहल्लों से आवारा कुत्तों को हटा दिया जाए और इसमें किसी भी तरह का समझौता ना किया जाए। बेंच ने कहा कि आठ हफ्तों में आवारा कुत्तों के लिए शहर से दूर शेल्टर बनाए जाएं और अदालत को इनकी जानकारी दी जाए।
 
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के बारे में कहते हुए बेंच ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन कुत्तों को हटाने के रास्ते में आया तो अदालत उनके खिलाफ अवमानना जैसे कड़े कदम उठाएगी।
 
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा खुद संज्ञान लेकर दायर किए गए एक मामले में सुनवाई के दौरान की। अदालत ने यह मामला जुलाई में आवारा कुत्तों द्वारा काटने और रेबीज से लोगों की मौत के कई मामले सामने आने के बाद दायर किया गया था।
 
भारत सरकार ने अप्रैल में कहा था कि जनवरी में देश भर में कुत्तों के काटने के लगभग 4।30 लाख मामले सामने आए थे, जबकि देशभर में 2024 तक ऐसे मामलों की संख्या 37 लाख थी। 2024 में रेबीज से 54 मौतें दर्ज की गईं, जो 2023 में दर्ज 50 मौतों से अधिक हैं।
 
मार्स पेटकेयर द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 5।25 करोड़ आवारा कुत्ते हैं, जबकि 80 लाख बेघर कुत्ते आश्रय गृहों में हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अकेले दिल्ली में ही 10 लाख आवारा कुत्ते हैं।
 
बेजुबान जानवरों के लिए उठी आवाज
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कई एक्टिविस्ट सवाल खड़े कर रहे हैं और वे पूछ रहे हैं कि इतने शेल्टर कैसे बनाए जा सकते हैं। संरक्षण जीवविज्ञानी बहार दत्त ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा,"हजारों कुत्तों के लिए आश्रय स्थल कहां हैं?" उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को "अव्यावहारिक और अवैज्ञानिक कदम" बताया।
 
पशु कल्याण संगठन सेव ए स्ट्रे के संस्थापक विदित शर्मा ने एक्स पर लिखा, "आवारा कुत्तों के लिए हमें सामूहिक टीकाकरण और सामूहिक नसबंदी की जरूरत है -जो संघर्षों को कम करने के केवल मानवीय और सिद्ध तरीके हैं।"
 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में कुछ विरोध प्रदर्शन भी हुए। पशु प्रेमी और सड़क पर कुत्तों को भोजन देने वाले कई लोग भी सड़कों पर उतरे जो इस आदेश को सही नहीं मानते हैं। इंडिया गेट पर कुछ लोगों ने मोमबत्ती लेकर मार्च भी निकाला, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
 
आवारा कुत्तों को भोजन देने वाली एक महिला ने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए जाने पर कहा, "वे नहीं चाहते कि हम बात करें... मुझे हिरासत में लिया जा रहा है क्योंकि मैं जानवरों को खिलाने का महान काम करती हूं।"

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