विदेश जाते ही गायब हो रही हैं भारतीय महिलाएं

सोमवार, 30 जनवरी 2017 (13:45 IST)
भारत में सरकार सैकड़ों महिलाओं को तस्करों और कबूतरबाजों से बचाने की कोशिश कर रही है। लेकिन टूरिस्ट वीजा सारी कोशिशों को बेकार कर रहा है।
अगर कोई भारतीय नागरिक नौकरी करने या पढ़ने के लिए विदेश जाना चाहे तो उसे वर्क वीजा या स्टूडेंट वीजा लेना पड़ता है। यह वीजा संबंधित देश के दूतावास या उच्चायोग द्वारा दिया जाता है। भारत से बाहर निकलने से पहले एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारी इस वीजा की जांच करते हैं। वीजा की पुष्टि होने के बाद ही भारतीय नागरिक फ्लाइट पर चढ़ पाता है।
 
लंबे अरसे तक भारत की सैकड़ों महिलाओं को ऐसे ही वर्क वीजा के आधार पर खाड़ी के देशों में भेजा जाता था। वहां जाकर वे घरेलू नौकरानी का काम करती रहीं। अक्सर शिकायतें भी आती रहीं कि उनकी हालत गुलामों जैसी है। वे चाहकर भी देश वापस नहीं लौट पा रही हैं। हाल के बरसों में सरकार ने इसे रोकने की कोशिश भी की है। भारत ने नौकरी देने वालों से कहा कि वे स्थानीय भारतीय मिशन में जाकर रजिस्ट्रेशन के नियम पूरे करें और साथ ही गारंटी के तौर पर 2,500 डॉलर भी जमा कराएं।
 
लेकिन कबूतरबाजों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। अब वे महिलाओं को टूरिस्ट वीजा पर खाड़ी के देशों में भेज रहे हैं। भारतीय इमिग्रेशन के एक अधिकारी के मुताबिक एक बार देश से बाहर निकलने के बाद ज्यादातर महिलाओं का कोई अता पता नहीं होता। वर्क वीजा पर विदेश जाने वाले भारतीय नागरिक की जानकारी इमिग्रेशन विभाग जमा करता है, लेकिन टूरिस्ट वीजा लेने वालों की जानकारी नहीं जुटाई जाती है।
 
प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमिग्रैंट्स इन इंडिया एमसी लुथर कहते हैं, "वे टूरिस्ट वीजा लेकर उड़ान भरती हैं ताकि इमिग्रेशन चेक से बच सकें और हमें पता ही नहीं चलता कि वे कहां जा रही हैं। मेरे पास ऐसे कोई आंकड़े नहीं हैं जो बताएं कि कितनी महिलाएं गईं और उनके साथ क्या हुआ। अब हम देशों से मांग कर रहे हैं कि वे टूरिस्ट वीजा को रोजगार वीजा में न बदलें।"
 
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक खाड़ी के छह देशों में इस वक्त करीब 60 लाख भारतीय नागरिक हैं। इनमें महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या है। ये लोग बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, यूएई और ओमान में काम करते हैं।
 
2015 में रियाद में घरेलू बाई का काम करने वाली एक भारतीय महिला ने मालिक पर हाथ काटने का आरोप लगाया। इसके बाद खाड़ी में बाई का काम करने वाली भारतीय महिलाओं की स्थिति को लेकर कई खबरें आईं। इसके बाद भारत सरकार ने वर्क वीजा संबंधी नियम कड़े किए। नियमों के अनुसार वर्क वीजा के तहत विदेश जाने वाली हाउसमेड का डाटा रिकॉर्ड किया जाने लगा। लेकिन अगर महिलाएं टूरिस्ट वीजा लेकर देश से बाहर जाएं तो अधिकारियों का कहना है कि वे बेबस हो जाते हैं।
 
एमिग्रेशन अधिकारी के मुताबिक पहले दक्षिण भारत से ज्यादातर महिलाएं खाड़ी जाती थीं। लेकिन अब कबूतरबाज मुंबई को भी अपना गढ़ बना चुके हैं। श्रीलंका और नेपाल की महिलाएं भी बड़ी संख्या में खाड़ी भेजी जा रही हैं।

नेशनल डोमेस्टिक वर्कर्स मूवमेंट की जोसेफीन वलारमाथी चिंतित हैं, "बीते साल हमारे सामने 30 ऐसे मामले आए जिनमें बाई का काम करने वाली महिलाएं खाड़ी के अलग अलग देशों में फंसी हुई थीं। संगठन का अनुमान है कि खाड़ी के देशों में करीब 5 लाख भारतीय महिलाएं बाई का काम कर रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक इस आंकड़े की पुष्टि करना संभव नहीं है।
 
अब सरकार स्थानीय केबल ऑपरेटरों के साथ मिलकर चेतावनी देने वाले विज्ञापन देने की तैयारी कर रही है। गैरकानूनी ढंग से नौकरी दिलाने का वादा करने वाली एजेंसियों पर कार्रवाई की योजना भी बनाई जा रही है।
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)
 

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