दरअसल इस्लामी कैलेंडर का एक साल पश्चिमी कैलेंडर के मुकाबले 11 दिन छोटा होता है। इस तरह पश्चिमी कैलेंडर के मुताबिक सऊदी सरकार को सरकारी कर्मचारियों को सालाना 11 दिन का वेतन कम देना पड़ेगा। अरब न्यूज की खबर के अनुसार सऊदी कैबिनेट ने पिछले हफ्ते ही इस फैसले को हरी झंडी दे दी और ये एक अक्टूबर से लागू हो गया है।
तेल के दामों में आई गिरावट के कारण सऊदी अरब को भारी घाटा उठाना पड़ा है और इससे निपटने के लिए वह अपने खर्चों में कटौती कर रहा है। अप्रैल में सऊदी शाह सलमान के बेटे डिप्टी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए विजन 2030 योजना पेश की थी। इसमें निजी क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देना और 2020 तक बजट में वेतन की हिस्सेदारी को 45 फीसदी से घटाकर 40 फीसदी करना शामिल है। वह तेल उत्पादन पर अर्थव्यवस्था की निर्भरता को कम करना चाहते हैं। 2014 से ही तेल के दामों में गिरावट हो रही है जिसकी सीधी मार सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पर पड़ रही है।
सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले कई बोनस भी बंद कर दिए गए हैं जबकि आमदनी बढ़ाने के लिए वीजा फीस बढ़ाने जैसे कदम भी उठाए गए हैं। हर साल दुनिया भर से लाखों लोग हज करने सऊदी अरब जाते हैं जहां मुसलमानों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल हैं। इस्लामी हिजरी कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं लेकिन चांद दिखने के आधार पर दिनों की संख्या 30 या 29 होती है। इसलिए उसका साल दुनिया भर में प्रचलित पश्चिमी कैलेंडर से छोटा होता है। 1932 में आधुनिक सऊदी अरब की स्थापना के बाद से ही वहां इस्लामिक कैलेंडर चल रहा था।