दशकों तक चले एक अध्ययन से पता चला है कि किलर व्हेल मछलियां बेटे पैदा करने के लिए बहुत बड़ा बलिदान करती हैं। एक बेटा पैदा करने के बाद वे अक्सर और बच्चे पैदा करने लायक नहीं रहतीं।
उत्तरी प्रशांत महासागर में हुए एक अध्ययन में किलर व्हेल मछलियों की प्रजनन प्रक्रिया के बारे में कई हैरतअंगेज जानकारियां मिली हैं। करीब 10 साल तक वैज्ञानिकों ने इन अद्भुत समुद्री जीवों के जीवन का अध्ययन किया और पाया कि उनके लिए नर बच्चे पैदा करना बेहद मुश्किल होता है, जिसके लिए उन्हें आजीवन बलिदान करना पड़ता है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि एक नर संतान पैदा करने से किलर व्हेल मछलियों के भविष्य में मां बनने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है। इसकी वजह है कि उन्हें नर संतान को पैदा करने और पालने में बहुत ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। शोध से पता चला है कि नर संतानों को दूध पिलाने से उनकी सेहत पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है और वे अन्य बच्चों को पैदा करने और पालने लायक नहीं रहतीं।
एक्सटर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डैरेन क्रॉफ्ट इस अध्ययन में शामिल रहे हैं। उन्होंने बीबीसी को बताया, मांएं अपना खाना और ऊर्जा खर्च कर देती हैं। किलर व्हेल मछलियों के लिए परिवार बहुत अहम होता है। वे ताउम्र परिवार में बंधी रहती हैं। लेकिन युवा मादाएं बड़े होने पर स्वतंत्र हो जाती हैं जबकि नर अपनी मांओं पर निर्भर रहते हैं। यहां तक कि वे अपनी मां द्वारा पकड़े गए शिकार तक में से हिस्सा मांगते हैं।
इन व्हेलों का शिकार से पीछा छूटा, लेकिन मुसीबतों से नहीं
करंट बायोलॉजी नामक पत्रिका में यह शोध प्रकाशित हुआ है। दशकों से जारी यह शोध सेंटर फॉर व्हेल रिसर्च (CWR) द्वारा किलर व्हेल मछलियों के जीवन पर किए जा रहे एक विस्तृत अध्ययन का हिस्सा है जिसके तहत 40 साल से भी ज्यादा समय से एक समूह की जिंदगियों को देखा-परखा जा रहा है। इस समूह को सदर्न रेजिडेंट्स नाम दिया गया है। प्रोफेसर क्रॉफ्ट कहते हैं कि इस शोध से इन अद्भुत जानवरों के जटिल सामाजिक और पारिवारिक जीवन के बारे में नई जानकारियां मिली हैं।
1976 से जारी अध्ययन
1976 से सीडब्ल्यूआर ने सदर्न रेजिडेंट की पूरी आबादी की गणना की है, जिससे जीव विज्ञानी कई पीढ़ियों का अध्ययन कर पाए हैं। इसी में इन प्राणियों के सामाजिक और पारिवारिक व्यवहार का अध्ययन भी शामिल है, जो इन जीवों के जिंदा रहने में अहम भूमिका निभाता है।
इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 1982 से 2021 के बीच 40 व्हेल मछलियों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि हरेक बेटा पैदा करने के बाद मछलियों की अन्य बच्चे पैदा करने की संभावना आधी रह गई थी।
एक्सटर यूनिवर्सिटी के डॉ. माइकल वाइस कहते हैं, हमारे पुराने शोध में पता चला था कि अगर मां आसपास रहे तो बेटों के जिंदा रहने की संभावना ज्यादा होती है। हम जानना चाहते थे कि क्या मांओं को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है, और जवाब है, हां। किलर व्हेल मछलियां भविष्य में मां बनने की संभावनाओं के रूप में भारी कीमत चुकाती हैं।
किलर व्हेल मछलियां उन प्रजातियों में से एक हैं जिनका वजूद खतरे में हैं। वैंकूवर और सिएटल के तटीय इलाकों में रहने वालीं इन मछलियों पर अध्ययन डॉ. केन बालकोम ने शुरू किया था। तब वह जानना चाहते थे कि इनके वजूद को क्या-क्या खतरे हो सकते हैं।
इंसानों जैसा स्वभाव
उसके बाद यह अध्ययन लगातार जारी रहा और किलर व्हेल मछलियों के बारे में अद्भुत जानकारियां सामने आईं। मसलन, दादी के रूप में किलर व्हेल मछलियों की भूमिका बहुत अहम होती है। इंसानों की तरह ही इन जीवों में भी मादाएं एक उम्र के बाद बच्चे पैदा करना बंद कर देती हैं।
इन जीवों में बेटे अपनी मांओं के काफी करीब होते हैं और वे उन्हीं के साथ रहना, घूमना-फिरना पसंद करते हैं। प्रोफेसर क्रॉफ्ट समझाते हैं, यहां तक कि जो मछलियां मांएं पकड़ती हैं, वे भी अपने बेटों को खिला देती हैं। इसके उलट युवा मादाएं स्वतंत्र रूप से घूमना पसंद करती हैं।
यह बात हैरान करती है कि इतने ताकतवर और समझदार जीव ताउम्र अपनी मांओं पर निर्भर रहते हैं लेकिन शोधकर्ता कहते हैं कि शायद नर मछलियां इसलिए स्वतंत्र नहीं हो पातीं क्योंकि मांएं हर वक्त उनके साथ रहती हैं।
अब दुनिया में ऐसी मात्र 73 व्हेल मछलियां बची हैं। इसलिए वैज्ञानिक इन जीवों के बारे में वैसी तमाम जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रहे हैं जो इनकी आबादी को विलुप्त होने से बचा सकें। रिपोर्ट : विवेक कुमार (एपी)