"मालदीव की मदद करना भारत की जिम्मेदारी है"

गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018 (12:03 IST)
photo @BondibaiJameel

मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति जमील अहमद ने कहा है कि उनके देश को राजनीतिक संकट के निबटारे के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत है। राष्ट्रपति यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित दो जजों को गिरफ्तार कर लिया है।
 
मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति जमील अहमद ने कहा है कि उनके देश को राजनीतिक संकट के निबटारे के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत है। राष्ट्रपति यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित दो जजों को गिरफ्तार कर लिया है। डीडब्ल्यू के साथ खास बातचीत में उन्होंने मालदीव में पैदा संकट के कई पहलुओं पर विस्तार से बात की।
 
*आप मालदीव के मौजूदा राजनीतिक संकट को किस तरह देखते हैं, खासकर राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की इमरजेंसी की घोषणा और विपक्षी सांसदों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के बाद?
 
यह दुनिया में कहीं भी सामान्य नहीं है और बिल्कुल भी एक लोकतांत्रिक कदम नहीं है कि राष्ट्रपति संविधान की खुली अवहेलना करे और देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ जज को बलपूर्वक हटा दे। इमरजेंसी लगाने की वजह देते हुए राष्ट्रपति यामीन ने कहा कि वे न्यायाधीशों और अपने सौतेले भाई पूर्व राष्ट्रपति मामून गयूम सहित कुछ विपक्षी नेताओं की जांच कराना चाहते हैं। ऐसे मामूली मामलों के लिए इमरजेंसी लगाने को हास्यास्पद और नकारा कहा जा सकता है। यामीन ने कुछ अधिकारों को निलंबित कर, जो इमरजेंसी में भी लिए नहीं जा सकते, संविधान का उल्लंघन किया है। न्यायोचित मुकदमे का अधिकार उनमें से एक है।
 
*पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद ने हाल में भारत से मालदीव में लोकतंत्र की बहाली के लिए अपने सैनिक भेजने को कहा है। विदेशी मुल्क से हस्तक्षेप के लिए कहना अलोकतांत्रिक नहीं है क्या?
 
भारत हमारा करीबी पड़ोसी है और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मालदीव और भारत निकट रूप से जुड़े हैं और उनकी साझा संस्कृति है। भारत ने मालदीव की जनता के लिए समर्थन को दोहराया है। मुश्किल समय में हमेशा हमारी मदद की है।
 
यदि समस्या का समाधान कूटनीति से नहीं हो सकता तो हमें दूसरे तरीकों की जरूरत होगी। राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ के प्रनिधिमंडल से मिलने से मना कर दिया है। संकट मालदीव को अलग थलग कर रहा है और उसकी पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। हमारा राष्ट्र इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता।
 
मेरी राय में भारत को मालदीव संकट के समाधान के लिए बिना किसी देरी के दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। नई दिल्ली पर नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वह मालदीव के लोगों की मदद करे। अतीत में भारत ने हथियारबंद हमले से रक्षा में मालदीव की मदद की है।
 
*पूर्व राष्ट्रपति नाशीद के मालदीव वापस लौटने और चुनाव लड़ने की क्या संभावनाएं हैं?
 
उनकी देश वापस लौटने और चुनाव लड़ने की संभावना बहुत उज्जवल है।
 
*सुप्रीम कोर्ट का पिछले हफ्ते का फैसला ब्रिटेन में निर्वासन में रह रहे विपक्ष के लिए क्या मायने रखता है?
 
मालदीव में कोई विपक्षी नेता आजाद और राजनीतिक गतिविधियां चलाने में सक्षम नहीं है। उन सबको सरकार ने गलत आरोपों के तहत गिरफ्तार कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट का पहली फरवरी का फैसला इन अन्यायों के खिलाफ राहत है। इसका मतलब है कि निर्वासन में रह रहे सभी विपक्षी नेता देश वापस लौट सकेंगे। लेकिन सरकार ने फैसले को नहीं माना है और सुप्रीम कोर्ट के जजों को गिरफ्तार कर लिया है।
 
*क्या आपकी जल्द देश लौटने की कोई योजना है?
 
हां, जितनी जल्दी संभव हो। मैं सक्रिय रूप से राजनीति में हिस्सा लेना चाहता हूं लेकिन यह मालदीव में राजनीतिक स्थिति पर निर्भर है।
 
*बीजिंग के साथ यामीन की बढ़ती निकटता को विपक्ष किस तरह देखता है? क्या आप मालदीव की नीतियों पर चीन का बढ़ता असर देख रहे हैं?
 
यामीन दावा करते हैं कि उन्हें चीन, सऊदी अरब और रूस का समर्थन हासिल है। लेकिन इनमें से किसी देश के पास ऐसा कारण नहीं है जिसके चलते वे राष्ट्रपति को खुश करें और मालदीव के लोगों को अलग थलग छोड़ दें। राष्ट्रपति यामीन बहुत ही अलोकप्रिय राजनेता हैं और उनके अगला चुनाव जीतने की संभावना नहीं है।
 
चीन हमारे देश के लोगों का दोस्त है, सरकार का नहीं। मैं नहीं समझता है कि कोई ऐसी वजह है कि जिसके चलते चीन मालदीव के लोगों की इच्छा के विरुद्ध यामीन का पक्ष लेगा।
 
*गाम्बिया एक तानाशाह के खिलाफ अपने राजनीति संकट के बाद ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में शामिल हो गया। क्या इससे मालदीव के लिए कोई उम्मीद पैदा होती है?
 
जब से यामीन सत्ता में आए हैं, वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय और कॉमनवेल्थ, भारत और यूरोपीय संघ जैसे पारंपरिक सहयोगियों से दूर जा रहे हैं। एक छोटे देश के तौर पर हमें कॉमनवेल्थ परिवार का हिस्सा होने का हमेशा फायदा मिला है। मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जैसे ही इस सरकार से हमारा पीछा छूटेगा, हम दोबारा कॉमनवेल्थ में शामिल हो जाएंगे।
 
डॉ. जमील अहमद मालदीव के पूर्व उप राष्ट्रपति हैं। वह मालदीव की कई सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं। फिलहाल वह लंदन में निर्वासित जिंदगी बिता रहे हैं। उनके साथ यह इंटरव्यू शामिल शम्स ने किया।
 

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