धन की कमी के कारण मंगल से नमूने नहीं ला पा रही नासा

DW
शनिवार, 20 अप्रैल 2024 (07:51 IST)
नासा का मंगल अभियान मुश्किल में फंस गया है। रोवर ने नमूने जमा कर लिए हैं लेकिन उन्हें लाने के लिए नासा के पास धन नहीं है।
 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब मंगल ग्रह से मिट्टी के नमूने लाने के सस्ते तरीके खोज रही है। एजेंसी ने कहा है कि तंग बजट के कारण अब ये सस्ते तरीके खोजना उसकी वैज्ञानिक प्राथमिकताओं में शामिल हो गया है।
 
नासा अधिकारियों के मुताबिक एजेंसी के सारे केंद्रों और निजी कंपनियों को भी इस परियोजना में मदद के लिए एक औपचारिक अनुरोध भेजा जा रहा है। यह काम तकनीकी रूप से बेहद जटिल है इसलिए नासा हरसंभव कोशिश कर रही है। उसे उम्मीद है कि विभिन्न वैज्ञानिक अपने प्लान भेजेंगे जिनकी इस साल समीक्षा की जाएगी।
 
नासा प्रशासक निकी फॉक्स ने कहा कि यह आमूल-चूल बदलाव नई तकनीकी खोजों के बजाय ‘सिद्ध तकनीकी‘ पर आधारित होगा ताकि समय और धन की बचत हो सके और जोखिम भी कम हो। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि मौजूदा तकनीक से जो काम अब तक नहीं हो पा रहा है, उसे उसी तकनीक के इस्तेमाल से कम खर्च में कैसे किया जाएगा। इसमें एक अन्य ग्रह से रॉकेट लॉन्च कर उसे धरती पर लाने जैसा जटिल काम शामिल है।
 
समीक्षकों की राय
नासा ने मंगल ग्रह से नमूने वापस लाने के काम की समीक्षा का जिम्मा सितंबर में स्वतंत्र समीक्षकों को दिया था। वे इस नतीजे पर पहुंचे कि काम की शुरुआत से ही समयावधि और खर्च को लेकर नासा की अपेक्षाएं गैरवाजिब थीं। समीक्षा में यह भी पाया गया कि मिशन को ‘बेढंगे तरीके से अंजाम‘ दिया गया और ‘इसके प्रभावशाली रूप से अंजाम तक पहुंचने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए।‘
 
इस नीम पर करेला तब चढ़ा जब इस साल अमेरिकी संसद ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बजट में भारी कटौती कर दी। इस कारण लॉस एंजेल्स स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री (जेपीएल) से सैकड़ों लोगों की नौकरी गई। मंगल अभियान का दल भी इसी लैब से काम करता है।
 
जेपीएल का बनाया रोबोटिक रोवर पर्सीविरेंस 2021 से मंगल पर नमूने जमा कर रहा है। पर्सीविरेंस ने मंगल ग्रह की प्राचीन झील जेजेरो के तल में जमी तलछट के नमूने जमा किए हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तलछट में सूक्ष्म जीवों के होने के सबूत मिल सकते हैं।
 
नमूने जमा करना मंगल अभियान का पहला चरण था। दूसरे चरण के तहत एक दूसरा रोबोटिक लैंडिंग क्राफ्ट भेजा जाना है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) की मदद से जाने वाले इस अभियान का मकसद मंगल पर उतरकर पर्सीविरेंस से वे नमूने लेना होगा। इन नमूनों को यह लैंडर एक रॉकेट में रखकर मंगल की सतह से लॉन्च करेगा। उसके बाद एक तीसरा यान भेजा जाएगा जो मंगल की कक्षा में पहुंचकर उस रॉकेट से नमूने लेगा और उसे धरती पर वापस लाएगा।
 
बजट से बाहर
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तीसरा यान 2027-28 तक लॉन्च किया जाएगा और 2030 के दशक की शुरुआत में यह नमूने लेकर धरती पर लौटेगा। इस पूरे अभियान पर 5 से 7 अरब डॉलर का खर्च होने का अनुमान है।
 
लेकिन स्वतंत्र समीक्षकों ने पाया कि आधुनिक तकनीक के तहत मंगल से नमूने वापस लाने का कुल खर्च 11 अरब डॉलर तक जा सकता है और इसके 2040 से पहले धरती पर लौटने की संभावना ,बहुत कम है।
 
नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा, कुल मिलाकर 11 अरब डॉलर का बजट बहुत ज्यादा है और 2040 की समय-सीमा बहुत दूर। अगर नासा इसी डिजाइन पर काम करती है तो उसकी अन्य वैज्ञानिक परियोजनाएं प्रभावित होंगी। मसलन, शनि ग्रह के बर्फीले उपग्रह टाइटन पर यान भेजने और शुक्र ग्रह पर दो यान भेजने की परियोजनाओं पर असर पड़ेगा।
 
बिल नेल्सन को उम्मीद है कि नासा, जेपीएल और स्पेस इंडस्ट्री में सक्रिय अन्य प्रतिभाशाली लोग इस समस्या का समाधान खोज लेंगे। उन्होंने कहा, ये ऐसे लोग हैं जो मुश्किल से मुश्किल समस्या का समाधान खोज सकते हैं।
वीके/एए (रॉयटर्स)

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