पाकिस्तान में पिछले हफ्ते नेशनल ग्रिड में खराबी आने से देशभर में बिजली चली गई, जिससे करोड़ों लोग अंधेरे में रहे। पाकिस्तान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था का इस बिजली संकट से सटीक कोई और संकेत नहीं हो सकता। जिस अर्थव्यवस्था के बारे में कई आर्थिक जानकार मान रहे हैं कि यह डूबने के कगार पर है।
एक दुकानदार ने पूछा, क्या पाकिस्तान का कोई भविष्य है? मैं समझ नहीं पाता कि इस देश में क्या हो रहा है। हम ढंग का खाना नहीं खा पा रहे हैं। फिर भी लगता है कि हमारे राजनेताओं को हमारी तकलीफों की कोई चिंता नहीं है।
बिजली कटौती से परेशान जनता
देश की आर्थिक राजधानी कराची सहित पाकिस्तान के कई बड़े शहरों में पेट्रोल पंपों के बाहर कारों की लंबी कतार देखी जा सकती हैं। देश में ईंधन की कमी है और जहां ईंधन मिल भी रहा है, वहां इतना महंगा कि आम लोग इसे खरीद नहीं सकते।
पाकिस्तान कई दूसरी कमियों से भी जूझ रहा है। घरों में खाना पकाने या छोटी फैक्ट्रियां चलाने के लिए गैस नहीं है। बिजली कटौती इतनी आम हो चुकी है कि इससे अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। कराची की एक गृहिणी वसीम ने डॉयचे वेले को बताया, "हालिया बिजली कटौतियों ने हमारी जिंदगियों को रोक दिया है। हम अपने रोजमर्रा के काम नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा लग रहा है, जैसे हम पाषाण काल में रह रहे हैं।"
आईएमएफ के फंड पर टिकी उम्मीद
26 जनवरी को पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले 9।6 फीसदी गिर गया। यह पिछले दो दशकों में पाकिस्तानी रुपये की कीमत में आई सबसे बड़ी गिरावट है। डॉलर संकट इतना गंभीर है कि खाना और दवाएं लाने वाले हजारों मेडिकल कंटेनर हफ्तों से बंदरगाहों पर ही खड़े हैं, क्योंकि प्रशासन के पास उनका भुगतान करने के लिए पैसे ही नहीं हैं।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार अब इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) को पाकिस्तान को नया कर्ज देने के लिए राजी करने में लगी है, ताकि देश लोन न चुका पाने के चलते डिफॉल्ट होने से बच सके।
क्या लोन चुकाने से चूक सकता है पाकिस्तान?
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री सलमान शाह ने कहा है, "मुझे लगता है कि हमें जल्द ही IMF की मदद मिल जाएगी, क्योंकि सरकार ने ईंधन के दाम बढ़ा दिए हैं, नए टैक्स लगा दिए हैं और बाजार को डॉलर के रेट तय करने की छूट दे दी है।
शाह ने यह भी कहा, "IMF का लोन, भुगतान संतुलन को बेहतर करेगा। ठीक उसी समय यह महंगाई का तूफान भी ला सकता है, जिससे महंगाई 40 से 50 फीसदी पर भी जा सकती है। जो लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं, ऐसे लोग जनसंख्या के 30 से 40 फीसदी हैं। उन्हें सबसे ज्यादा झेलना पड़ेगा।"
पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के आर्थिक पतन का जोखिम समझते हुए फिर से पाकिस्तान के बचाव में आ सकता है। हालांकि, इससे आम जनता को राहत मिलने के आसार कम नजर आते हैं। राजनीतिक नेतृत्व के लिए भी ऐसी कोई राहत ढांचागत समस्याओं से जूझते पाकिस्तान में अस्थायी समाधान साबित होगी।