कम उम्र लड़कियों को देह व्यापार से बचाने के लिए एक्सरे

गुरुवार, 29 सितम्बर 2016 (10:49 IST)
यौनकर्मियों के हितों में काम करने वाली दुर्बार महिला समन्वय समिति की अनूठी पहल के तहत तकनीक की सहायता से 18 साल से कम उम्र की युवतियों को इस पेशे में उतरने से बचाया जा सकता है।
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित सोनागाछी को एशिया में देह व्यापार की सबसे बड़ी मंडी कहा जाता है। देश के दूसरे इलाकों की तरह इस मंडी में भी अब तक कम उम्र की युवतियों के देह व्यापार में उतरने की शिकायतें मिलती रहीं हैं। किसी को पड़ोसी नेपाल और बांग्लादेश से बहला-फुसला कर इस बाजार में बेच दिया जाता था तो किसी को मजबूरी में यह पेशा अपनाना पड़ता था। लेकिन अब यौनकर्मियों के हितों में काम करने वाली दुर्बार महिला समन्वय समिति की अनूठी पहल के तहत तकनीक की सहायता से 18 साल से कम उम्र की युवतियों को इस पेशे में उतरने से बचाया जा सकता है। समिति का दावा है कि वह अब तक इसकी सहायता से सैकड़ों युवतियों को बचा चुकी है। सोनागाछी इस तकनीक को अपनाने वाला देश का पहला रेड लाइट इलाका है।
 
तकनीक : दुर्बाक समिति की पहल पर अब इस पेशे में उतरने वाली युवतियों की सही उम्र का पता लगाने के लिए एक्स-रे का सहारा लिया जा रहा है। युवती के 18 साल या उससे ज्यादा उम्र होने के बाद उससे तमाम पहलुओं के बारे में पूछताछ के बाद ही उसे देह व्यापार के पेशे में उतरने की इजाजत दी जाती है। सोनागाछी से शुरू हुई यह योजना अब राज्य के दूसरे देह व्यापार केंद्रों में भी लागू कर दी गई है। समिति को उम्मीद है कि जल्दी ही बंगाल माडल को देश के दूसरे शहर भी अपना लेंगे। लगभग 1.30 लाख सदस्यों वाली यह समिति यौनकर्मियों के हितों की तो रक्षा करती ही है, इस पेशे में किसी को जबरन उतारने से भी रोकती है। समिति यहां की यौनकर्मियों के बच्चों के लिए संरक्षण गृह और स्कूल भी चलाती है। समिति की पहल पर इलाके के कई बच्चे विदेशों में फुटबाल का प्रशिक्षण ले चुके हैं और अपनी लघु फिल्मों के चलते विदेशी फिल्मोत्सवों में भी शिरकत कर चुके हैं।
 
जरूरत : समिति को इस एक्स-रे तकनीक का सहारा लेने की जरूरत क्यों पड़ी? समिति की संयोजक महाश्वेता बताती हैं, "हम नहीं चाहते कि 18 साल से कम उम्र की युवतियां किसी भी वजह से इस पेशे को अपनाएं। लेकिन कई बार दलाल और गरीब परिवारों के लोग अपनी कम उम्र की बेटी को भी 18 से ज्यादा का बता कर पेशे में उतार देते हैं।" समिति का कहना है कि उसके पास युवतियों की सही उम्र का पता लगाने का कोई तरीका नहीं था। नतीजतन अक्सर 15 से 17 साल तक युवतियां भी इस पेशे में आ जाती थीं। समिति की मुश्किल यह थी कि अक्सर दबाव में युवतियां भी अपनी उम्र के बारे में झूठ बोल देती थीं। विभिन्न उपायों पर विचार के बाद ही समिति ने इस तकनीक को अपनाने का फैसला किया।
 
लेकिन एक्स-रे से सही उम्र का पता कैसे लगता है? इस सवाल का जवाब देते हैं दुर्बार के साथ काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन सोनागाछी रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (एसआरटीआई) के प्रिंसिपल डॉ. समरजीत जाना। वह बताते हैं कि कलाई और कमर के एक्स-रे की सहायता से किसी भी महिला की सही उम्र का पता लगाया जा सकता है। जाना कहते हैं, "उम्र के निर्धारण का यह तरीका पश्चिमी देशों में बहुत पहले से आजमाया जा रहा है। वहां भी कम उम्र की युवतियों को देह व्यापार के पेशे में उतरने से रोकने के लिए इसी तकनीक का सहारा लिया जाता है।" फिलहाल देश के ज्यादातर केंद्रों में यह तकनीक उपलब्ध नहीं है। लेकिन जाना को उम्मीद है कि यह बंगाल माडल जल्दी ही दूसरे इलाकों में भी लोकप्रिय हो जाएगा।
 
जागरूकता अभियान : दुर्बार समिति ने राज्य सरकार के साथ मिल कर एक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है ताकि कम उम्र की युवतियों को देह व्यापार के पेशे में उतरने से रोका जा सके। इसके तहत राज्य के बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती इलाकों पर खास जोर दिया जा रहा है। यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि महिलाओं की खरीद-फरोख्त के मामले में पश्चिम बंगाल पूरे देश में अव्वल है। इनमें सीमा पार बांग्लादेश और नेपाल से आने वाली महिलाओं की बड़ी तादाद शामिल है। उनको नौकरी का लालच देकर यहां लाया जाता है।
लेकिन इस धंधे में सक्रिय गिरोह उनको किसी कोठे या देह व्यापार की मंडी में बेच देते हैं। समिति ऐसी युवतियों से विस्तृत पूछताछ के बाद ही उनको पेशे में उतरने की इजाजत देती है। समिति की संयोजक महाश्वेता बताती हैं, "पूछताछ से अगर साबित हो गया कि युवती को जबरन इस पेशे में उतारा जा रहा है तो उसे उसके घरवालों या सरकारी संरक्षण गृह में भिजवा दिया जाता है। लेकिन उससे पहले उनकी भी एक्स-रे जांच की जाती है।"
 
इस तकनीक को सही तरीके से लागू करने के लिए विभिन्न सीमावर्ती जिलों में एक बोर्ड का भी गठन किया गया है। इसमें दो यौनकर्मियों के अलावा डॉक्टर, वकील, जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी और सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि शामिल हैं। महिला कल्याण संगठनों ने दुर्बार की इस पहल की सराहना की है। एक ऐसे ही संगठन की प्रमुख भारती दास कहती हैं, "यह एक अच्छी पहल है। इससे जबरन देह व्यापार में उतरने वाली युवतियों को बचाने में काफी सहायता मिल रही है।" उनको उम्मीद है देश के दूसरे रेड लाइट इलाके भी इस तकनीक को अपनाएंगे। इससे कई निरीह व बेबस युवतियों को नया जीवन मिल सकता है।
 
रिपोर्ट: प्रभाकर

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