रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिझिया इलाके में मार्शल लॉ लगाने का एलान किया है। ये वो इलाके हैं जिन्हें रूस यूक्रेन से छीन कर अपने साथ मिलाना चाहता है।
रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान पुतिन ने कहा, "मैंने रशियन फेडरेशन के इन चार इलाकों में मार्शल लॉ लगाने की डिक्री पर दस्तखत कर दिये हैं।" परिषद की बैठक का टीवी पर प्रसारण किया जा रहा था। इसके बाद रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर ने यह डिक्री प्रकाशित कर दी और कहा कि इन्हें गुरुवार सुबह से लागू कर दिया जायेगा।
इस दौरान पुतिन ने यह भी कहा, "कीव की सत्ता ने लोगों की इच्छा को मान्यता देने से इनकार किया है, बातचीत के प्रस्तावों को ठुकराया है, बंदूकों से गोलियां चल रही हैं और आम लोग मारे जा रहे हैं।"
पुतिन ने यूक्रेन पर "आतंकवादी तौर तरीकों" के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया। पुतिन का कहना है, "वे हमारे इलाके में तोड़फोड़ करने वाले समूहों को भेज रहे हैं।" पुतिन का कहना है कि रूस ने क्रीमिया पुल पर हमले के बाद इन गतिविधियों को नाकाम कर दिया है। उनके मुताबिक रूसी "परमाणु बिजली घरों को भी निशाना बनाने की कोशिश की गई।"
रूसी मार्शल लॉ के तहत सरकार को ज्यादा ताकत मिल जाती है कि वह सेना को मजबूत करने के साथ ही कर्फ्यू, लोगों की गतिविधियों पर पाबंदी, सेंसरशिप और विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर रोक भी लगा सकती है। पुतिन का कहना है, "हम रूस के भविष्य को बचाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के जटिल और बड़े पैमाने पर समाधान के लिए काम कर रहे हैं।"
खेरसॉन से रूस समर्थक बाहर निकले
इससे पहले रूसी राष्ट्रपति के समर्थक अधिकारियों का कहना है कि वो दक्षिणी शहर खेरसॉन से बाहर जा रहे हैं क्योंकि यूक्रेनी सेना वहां तेजी से आगे बढ़ रही है। यह शहर युद्ध शुरू होने के कुछ दिनों बाद से ही रूसी कब्जे में आ गया था। खेरसॉन इलाके में रूस की तरफ से नियुक्त अधिकारी व्लादिमीर साल्दो ने रूस के सरकारी टेलीविजन से बातचीत में कहा, "पूरा प्रशासन आज यहां से निकल कर" दनीपर नदी के पूर्वी किनारों की तरफ जा रहा है।
फरवरी में हमला शुरू होने के बाद खेरसॉन पहला प्रमुख शहर था जिस पर रूसी सेनाओं ने कब्जा कर लिया। इसे वापस लेना यूक्रेन के जवाबी हमले की दिशा में बड़ी उपलब्धि होगी। अपने छिने हुए इलाकों में आगे बढ़ने की कीमत यूक्रेन को शहरों पर रूसी मिसाइलों और ड्रोन हमलों के रूप में चुकानी पड़ रही है। इसके नतीजे में यूक्रेन के बिजली घरों का एक प्रमुख हिस्सा तबाह हो गया है और सर्दियां आने से पहले ही बिजली का संकट गहरा रहा है।
हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ आंद्रे येरमाक ने इन कदमों को "प्रोपेगेंडा शो" कहा है और रूस पर खेरसॉन के "लोगों को डराने की कोशिश करने का" आरोप लगाया है। येरमाक ने टेलिग्राम पर लिखा है कि यूक्रेनी सेनाएं "यूक्रेनी शहरों पर फायर नहीं करतीं।"
दनीपर नदी के पश्चिमी किनारे पर मौजूद यह शहर उसी ओर है, जिस ओर से अगस्त में जवाबी हमला शुरू करने के बाद यूक्रेनी सेना आगे बढ़ रही है। साल्डो का कहना है कि शहर से बाहर जाना शहर के आम लोगों के साथ आयोजित किया गया है और यह सावधानी बरतने के लिए किया गया है।
साल्डो ने वादा किया कि रूसी सेना यूक्रेन के साथ लड़ाई जारी रखेगी। रूस समर्थक अधिकारियों का कहना है कि आमलोगों को सिर्फ रूस या फिर रूसी कब्जे वाले यूक्रेन के हिस्सों में ही जाने की अनुमति दी जायेगी। यूक्रेनी सेनाओं ने नदी पर बने कई पुलों को भी निशाना बनाया है, जिससे कि रूसी सप्लाई लाइन काटी जा सके। शहर से बाहर निकलने का काम ज्यादातर फेरी के सहारे हो रहा है।
दक्षण की ओर आगे बढ़ रही है यूक्रेन की सेना
रूस के सरकारी टीवी टैनल रशिया 24 पर नदी पार करने के लिए बोट के इंतजार में खड़े लोगों की तस्वीरें दिखाई जा रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वो 60,000 आम लोगों को खेरसॉन शहर से अगले छह दिनों में बाहर निकालने की योजना बना रहे हैं। यूक्रेन अभियान के लिए रूसी सेना के कमांडर जरनल सोरोविकिन ने कहा है कि सेना यहां से निकल रहे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने यूक्रेनी सेना पर नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने का आरोप भी लगाया।
यूक्रेन ने देश के पूर्वी हिस्से में कई इलाकों को रूसी कब्जे से बीते हफ्तों में मुक्त करा लिया है। दक्षिण की तरफ उनका अभियान थोड़ा धीमा रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसने गति पकड़ ली है। कुछ जगहों पर रूसी सेना भी आगे बढ़ रही है। लंबे समय के बाद मंगलवार को रूसी सेना ने पूर्वी खारकीव इलाके में एक गांव पर कब्जे का दावा किया। रूसी सेना अपने कब्जे में मौजूद इलाकों की सुरक्षा मजबूत करने की भी कोशिश कर रही है।
इस बीच यूक्रेन रूसी हमलों के बाद अपने ऊर्जा केंद्रों की मरम्मत करने में जुटा है। सरकार ने पावर ग्रिड में गंभीर खतरे की चेतावनी दी है। रूसी हमलों में देश के एक तिहाई बिजली घर ध्वस्त हो गये हैं। सरकार का कहना है कि लोगों को बिजली, पानी और हीटिंग की कमी से जूझने के लिए तैयार रहना होगा।