अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने प्रयोग एक जैसे दिखने वाले दो जुड़वां भाइयों पर किया। एजेंसी ने पांच बार अंतरिक्ष में जा चुके स्कॉट केली और उनके हमशक्ल भाई मार्क केली को चुना। प्रयोग के तहत मार्च 2015 में स्कॉट केली को छठी बार करीब साल भर लिए अंतरिक्ष में भेजा गया। एक मार्च 2016 को वह वापस धरती पर लौटे। अंतरिक्ष में 11 महीने रहने से स्कॉट के शरीर में गजब के बदलाव हुए। नासा के मुताबिक स्कॉट केली के 7 फीसदी जीन धरती पर लौटने के बाद भी पुरानी और सामान्य अवस्था में नहीं लौट सके।
शोध के तहत स्कॉट को अंतरिक्ष में भेजने से पहले कई टेस्ट किए गए। फिर उनके अंतरिक्ष से लौटने के बाद हूबहू वही टेस्ट दोबारा किए गए। टेस्ट के नतीजों को स्कॉट के हमशक्ल जुड़वां भाई मार्क केली से मिलाया गया। एनालिसिस के बाद पता चला कि अंतरिक्ष में रहने की वजह से स्कॉट के ज्यादातर जीन बदल गए। हालांकि 93 फीसदी जेनेटिक गुण धरती पर लौटने के बाद पुरानी अवस्था में आ गए, लेकिन 7 फीसदी जीन बदले हुए मिले। बदले हुए जीन कम से कम पांच जैविक अनुवांशिक गुणों से जुड़े हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक अंतरिक्ष में भारहीनता, विकीरण, तनाव और भोजन में व्यापक बदलाव के चलते शरीर में कई किस्म के बड़े बदलाव होते हैं। इनका असर इंसान के डीएनए और आरएनए पर भी पड़ता है। अंतरिक्ष यात्रा से पहले स्कॉट और मार्क की जिनोम सीक्वेंसिंग काफी हद तक एक जैसी थी, लेकिन अंतरिक्ष यात्रा ने इसे बदल दिया।
जुड़वां भाइयों पर हो रहे शोध से अंतरिक्ष में इंसान के शरीर के व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी। 10 से ज्यादा वैज्ञानिकों की टीम केली भाइयों के आंत के बैक्टीरिया, हड्डियों और इम्यून सिस्टम की जांच कर रही है। रिसर्च के नतीजे 2018 में ही पेश किए जाएंगे।