अमेरिका ने पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम पर कई नए प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे पाकिस्तान में नाराजगी है और उसने अमेरिका पर दोहरे मानदंडों का आरोप लगाया है। अमेरिका ने पाकिस्तान के लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगाए हैं। इस कदम से दोनों देशों के रिश्तों में और खटास आ गई है।
अमेरिका ने इस हफ्ते पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स और उससे जुड़ी तीन कंपनियों पर कार्रवाई की। इन पर हथियारों के प्रसार में शामिल होने का आरोप है। पाकिस्तान ने इस कदम को पक्षपाती बताया और इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक कहा।
अमेरिका ने नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल और रॉकसाइड एंटरप्राइज की अमेरिकी संपत्तियां फ्रीज कर दी हैं। अमेरिका के मुताबिक, ये संगठन शाहीन बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम में अहम भूमिका निभा रहे थे।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, 'हमें काफी पहले से पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम को लेकर चिंताएं हैं। हमने इस मुद्दे पर हमेशा स्पष्ट रुख अपनाया है।'
पाकिस्तान में नाराजगी
पाकिस्तान ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। उसने अमेरिका पर 'दोहरे मानदंड' अपनाने का आरोप लगाया। उसका कहना है कि अमेरिका अन्य देशों को उन्नत सैन्य तकनीक देता है लेकिन पाकिस्तान पर पाबंदियां लगाता है। पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने भी इन प्रतिबंधों का विरोध किया। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के प्रवक्ता ने इन प्रतिबंधों को अनुचित बताया और अमेरिका से इसे वापस लेने की अपील की।
अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते धीरे-धीरे खराब होते जा रहे हैं। ये संबंध शीतयुद्ध के समय मजबूत हुआ करते थे। अब अमेरिका के मुताबिक पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता बढ़ा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा उप-सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा कि अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो पाकिस्तान अमेरिका तक पहुंचने वाली मिसाइलें बना सकता है। उन्होंने इस तकनीक को केवल भारत के खिलाफ रक्षा के लिए बताने पर भी सवाल उठाए।
इतिहास और रणनीतिक मायने
पाकिस्तान 1998 से परमाणु शक्तिसंपन्न देश है और अपने मिसाइल प्रोग्राम को भारत के साथ रणनीतिक संतुलन बनाए रखने का जरिया मानता है। दोनों देशों ने कई बार मिसाइल परीक्षण किए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रतिबंध उन्नत मिसाइल तकनीक के प्रसार को रोकने की अमेरिका की रणनीति का हिस्सा हैं। वॉशिंगटन में विदेश नीति विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने कहा, 'पाकिस्तान के प्रोग्राम को अमेरिकी धरती के लिए खतरा बताना एक गंभीर बयान है।'
चीन के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी ने अमेरिका के साथ उसके संबंधों को और उलझा दिया है। वहीं, अमेरिका पर भारत को प्राथमिकता देने का आरोप भी लगाया जाता है। पाकिस्तान का कहना है कि उसका मिसाइल प्रोग्राम सिर्फ रक्षा के लिए है। हालांकि विशेषज्ञों को डर है कि यह कदम क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकता है।
अमेरिका के इन प्रतिबंधों ने दोनों देशों के रिश्तों में नया तनाव पैदा कर दिया है। अमेरिका इसे हथियारों के प्रसार को रोकने का प्रयास मानता है, लेकिन पाकिस्तान इसे अपनी सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला बता रहा है।
सुरक्षा विशेषज्ञ सैयद मोहम्मद अली ने इन प्रतिबंधों को 'छोटे नजरिए वाला और दक्षिण एशिया की वास्तविकताओं से अलग' बताया। उनका कहना है कि यह कदम पाकिस्तान को चीन के और करीब ला सकता है और पहले से तनावपूर्ण अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों को और बिगाड़ सकता है।(सांकेतिक चित्र)