हरियाणा में 600 निजी अस्पतालों ने कहा है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत केंद्र सरकार ने उनके 400 करोड़ रुपयों का भुगतान नहीं किया है। अस्पतालों ने इस योजना के तहत इलाज कराने वालों को ठुकराने की चेतावनी दी है।
दिल्ली में विधान सभा चुनावों से पहले बीजेपी ने वादा किया है कि अगर दिल्ली में उसकी सरकार बनती है तो पहली ही कैबिनेट बैठक में आयुष्मान भारत योजना को लागू कर दिया जाएगा। लेकिन दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा में सैकड़ों अस्पताल इस योजना को लेकर परेशान हैं।
भारतीय मेडिकल संघ (आईएमए) ने हरियाणा के करीब 600 निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज की सेवा बंद कर देने की चेतावनी दी है। संघ का आरोप है कि केंद्र सरकार ने योजना के तहत इन अस्पतालों की 400 करोड़ रुपयों की बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक संघ का दावा है कि अगस्त 2024 से अस्पतालों की बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया गया है और अगर अब भी भुगतान नहीं किया गया तो अस्पताल तीन फरवरी से योजना के तहत इलाज बंद कर देंगे।
क्या है मामला
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को सितंबर 2018 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य करोड़ों लाभार्थी परिवारों को हर साल पांच लाख रुपयों तक का हेल्थ कवर देना है। यह योजना इस समय 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही है। सिर्फ दिल्ली, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में योजना नहीं चल रही है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हरियाणा में योजना के तहत 1,300 अस्पतालों को पैनल पर लिया गया है और इनमें से करीब 600 अस्पताल निजी हैं। इन्हीं अस्पतालों की तरफ से आईएमए ने सरकार से शिकायत की है।
संघ के प्रतिनिधियों की इस विषय पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से आठ जनवरी को मुलाकात हुई थी, जिसके बाद सैनी ने तुरंत बकाया राशि के भुगतान का आदेश दिया था।
लेकिन संघ का कहना है कि इसके बावजूद अस्पतालों को छोटी मोटी धनराशि मिली है और वह भी कई तरह की कटौतियों के साथ। आयुष्मान भारत हरियाणा की सीईओ संगीता तेतरवाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके विभाग में पैसों की समस्या थी, जिसे अब दूर कर दिया गया है।
तेतरवाल ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों में करीब 150 करोड़ का भुगतान भेज दिया गया है और अगले हफ्ते बाकी धनराशि भी भेज दी जाएगी। हालांकि इस तरह के मामले अन्य राज्यों में भी सामने आए हैं।
कई राज्यों में संकट
इससे पहले इसी तरह का संकट गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, केरला, तमिलनाडु, जम्मू और कश्मीर समेत कई राज्यों में आ चुका है। सितंबर 2024 में पंजाब में निजी अस्पतालों ने करीब 600 करोड़ बकाया राशि का भुगतान ना होने पर कैशलेस सेवाएं ही बंद कर थीं। राशि केंद्र और राज्य सरकार दोनों की तरफ से बकाया थी।
अहमदाबाद मिरर की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद के कई विशेष अस्पतालों में मध्य प्रदेश से भेजे गए मरीजों का इलाज हो चुका है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने अस्पतालों की करोड़ों की बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया है।
स्क्रोल डॉटकॉम पर मार्च 2024 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में कम से कम 3,543 अस्पतालों ने छह महीनों से इस योजना के तहत किसी भी मरीज को भर्ती नहीं किया था। इसके अलावा 6,551 अस्पताल तो पैनल में लाए जाने के बाद निष्क्रिय हो गए थे।
इस योजना के तहत जितने कार्ड बने हैं उतना इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में 31 अक्टूबर 2024 तक इस योजना के तहत 1.21 करोड़ से भी ज्यादादा कार्ड बन गए थे लेकिन योजना का लाभ सिर्फ 18.5 लाख लोगों ने उठाया था।