सारा केन्स और उनकी टीम ने नेचर कम्यूनिकेशन नाम की पत्रिका में अपने एक लेख में कहा है कि हमारे डेटा के मुताबिक शराब शरीर में भूख के मूल तत्व को बनाए रखती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि तीन दिनों तक चूहों को ईथेनॉल-पानी का घोल दिया गया। इसमें प्रतिदिन शराब की मात्रा उतनी ही थी जितनी कि एक आदमी में करीब डेढ़ बोतल शराब पीने के बाद होती होगी।
शराबी चूहे साबित हुए भुक्खड़
शोधकर्ताओं ने पाया कि चूहों को ज्यादा भूख लगी। उन्होंने उन दिनों 10 से 25 फीसदी अधिक खाना खाया जब उन्हें ईथेनॉल दिया गया। केन्स और उनके साथियों ने चूहों के मस्तिष्क को शराब के साथ भी परखा और देखा कि दिमाग में पाई जाने वाली पेप्टाइड कोशिकाएं ज्यादा सक्रिय हैं। लेकिन जब इन कोशिकाओं को एक रसायन की मदद से बंद कर दिया गया तो इन चूहों ने पहले की तरह व्यवहार नहीं किया और शराब ने इन्हें अधिक खाने के लिए नहीं उकसाया। शोधकर्ताओं के मुताबिक चूहों के मस्तिष्क में होने वाली ये प्रक्रिया मानव मस्तिष्क में भी ठीक वैसे ही काम करती होगी।
हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी में सेंटर ऑफ इन्टर्डिसप्लेनरी अडिक्शन रिसर्च (जेडआईएस) के प्रमुख जेंस रिमर के मुताबिक शोधकर्ता काफी लंबे समय से इस बात को मानते आए हैं कि शराब, व्यक्ति के खान-पान को प्रभावित करती है। कुछ शोध बताते हैं शराब की अधिक मात्रा लोगों के आत्मनियंत्रण को प्रभावित करती है और लोग खाने से जुड़ी आदतों को भूल जाते हैं। राइमर के मुताबिक इस स्टडी ने मस्तिष्क के न्यूरोनॉल क्षेत्र की पहचान की है जो व्यवहार को नियंत्रण करती है। इसलिए बेहतर होगा कि अब अच्छे से खाना खा लेने के बाद ही शराब का सेवन किया जाए।