जन्म कुंडली में विवाह कारक ग्रह पंचम के साथ संबंध बनाता हो अथवा 5 का 2, 7, 11 से संबंध हो तो विवाह होता है। प्रेम विवाह कारक ग्रह 1, 4, 6, 8, 10, 12 से जुड़ा हो तो प्रेम विवाह नहीं होता है अथवा विवाह कारक एवं अकारक दोनों से संबंध हो तो विवाह के बाद दूसरा विवाह होता है। ऐसा प्रेम विवाह नहीं चलता है।
सप्तम का सब लॉर्ड पंचम का प्रबल कार्येश हो तो प्रेम विवाह अवश्य होता है। प्रेम विवाह कारक का संबंध यदि 6, 8, 12 से बनता है तो ऐसे विवाह से परिजन की हानि के योग बनते हैं।
1. जिस जातक की प्रभावित रेखा चन्द्र क्षेत्र पर होकर भाग्य रेखा से मिले एवं शुक्र क्षेत्र पर आड़ी रेखाएं होकर भी वे जीवनरेखा से न मिले, ऐसे जातक का विवाह न होकर पर-स्त्री से प्रेम होता है एवं स्त्री के कारण ही यह जातक संकट में पड़ता है। कभी-कभी ऐसे जातकों को स्त्री के कारण जेल यात्रा भी करना पड़ती है।
4. यदि अंगुलियों के तीसरे पर्व पर यव चिन्ह हो व द्वितीय पर्व पर भी यव चिन्ह हो, वह विद्याविहीन, विषयासक्त, भोगी, दुराचारी होकर जल में डूब मरता है।