एहसान फरामोशों को साष्टांग प्रणाम!

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- आदिल खान

संसार का हर एहसान फरामोश परम पूजनीय है, क्योंकि यही इस नीरस और असार संसार को सरस, सारवान और चलायमान बनाए रखता है। अज्ञानी लोग एहसान फरामोशों से घृणा करते हैं। लेकिन, एहसान फरामोश को देखते ही मेरा मन उसे साष्टांग प्रणाम करने को उतावला हो जाता है। एहसान फरामोश द्वारा मारा गया हर जूता ज्ञान से भरा होता है।

वर्षों तक ज्ञान भरे जूते खाने के बाद मुझे यह ज्ञान प्राप्त हो गया है कि दुनिया में अगर एहसान फरामोश न होते तो यह दुनिया इतनी व्यस्त नहीं होती जैसी आज है। जरा कल्पना कीजिए दुनिया में कोई एहसान फरामोश न होता, सब एक-दूसरे के कृतज्ञ और एहसानमंद होते तो क्या हाल होता। अपने पर चढ़े दूसरों के एहसानों को याद रखने के लिए दिमाग को कितना कष्ट उठाना पड़ता।

पैसे वाले लोग 'एहसान-मुंशी' रखते, जो अपने मालिक पर दूसरों के एहसानों की फेहरिस्त मेनटेन करता और उन्हें उतारने के लिए मालिक को हरदम याद दिलाता रहता। और तो और आदमी की आधी जिंदगी लोगों के एहसान उतारने में ही बर्बाद हो जाती। जब दुनिया में हर आदमी कृतज्ञ होता तो व्यापारी बुद्धि के लोग दो-चार बड़े-बड़े एहसान कर जीवन भर उनका मुआवजा खाते, अजगरों की तरह निष्क्रिय पड़े रहते। दुनिया की हलचल पर विराम लग जाता।

एहसान फरामोशी है तो दिमाग को कष्ट देने की जरूरत नहीं पड़ती। एहसान लो, भूल जाओ और एहसान करने वाले को छाती पीटने के काम पर लगाकर आगे बढ़ जाओ। दुनिया में एहसान फरामोशी है तो उसके तुफैल से हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, डायबिटीज जैसी हाई प्रोफाइल बीमारियाँ हैं। जब बीमारियाँ हैं तो डॉक्टर हैं, अस्पताल हैं, दवाइयाँ हैं, दवाई की दुकानें हैं, दवाई बनाने की फैक्टरियाँ हैं। एहसान फरामोश न होते तो मेडिकल बिजनेस चौपट हो जाता। एक तरफ इनकी वजह से डॉक्टरों के वारे-न्यारे हैं, वहीं दूसरी और कोर्ट-कचहरियाँ भी इन्हीं के कारण आबाद हैं। वकील एहसान फरामोश लोगों के दम पर ही खम ठोकता है।

एहसान फरामोश और उनकी एहसान फरामोशी के किस्से टाइमपास का बेहतरीन साधन हैं। सोचने वाली बात है कि एहसान फरामोशी के सस्पेंस और थ्रिल से भरे किस्सों से अच्छा मनोरंजन भुक्तभोगी और श्रोताओं को कौनसा विषय दे सकता है। इन किस्सों में टी.वी. के क्राइम और सस्पेंस जैसे सीरियलों का मजा है। पिछले दिनों सड़क पर एक अनजान आदमी पैर छूने लगा। मैं बैंक से पैसे निकालकर आ रहा था। घबराया कि कहीं गुंडा बदमाश न हो। मैंने पीछे सरककर पूछा- क्या बात है भई कौन हो तुम। वह हाथ जोड़कर बोला- सर आपने मेरी नौकरी लगाई थी। मैं अब अफसर बन गया हूँ। मेरे लायक कोई सेवा हो तो... धत्त तेरे की। यह तो कृतज्ञ निकला। मैंने कहा- तुम निरे मूर्ख हो।

तुम्हारी जिंदगी किसी चर्चा के लायक नहीं। मैंने चार और लोगों की नौकरियाँ लगाईं वे इस शहर में आकर मेरे पड़ोस में रहकर चले जाते हैं। सामने पड़ने पर मुँह फेर लेते हैं। अब जो भी मेरी पकड़ में आता है, मैं उसे घेरकर उनकी साहसिक एहसान फरामोशी की बातें बखान कर अपना टाइम पास करता हूँ। तुम तो कृतज्ञ हो, टाइम पास लायक भी नहीं हो।

एहसान फरामोशों में भी क्वालिटी मेनटेन करने की कॉम्पीटिशन है। सबसे घटिया क्वालिटी के एहसान फरामोश, एहसान करने वाले के सामने पड़ते ही उसे नमस्ते या सलाम कर देते हैं। जरूरी हुआ तो हँसने जैसी शक्ल भी बना लेते हैं। इस क्वालिटी के एहसान फरामोश, 'एहसान फरामोश-बिरादरी' पर कलंक हैं। इनसे कुछ अच्छे किस्म के एहसान फरामोश, एहसान करने वाले से पूरी तरह कन्नाी काट लेते हैं। उसका नाम भी कभी जबान पर नहीं लाते। इनसे सुपीरियर क्वालिटी के एहसान फरामोश, एहसान करने वाले के सामने दूसरों के एहसानों का बखान कर प्रताड़ना का आनंद लूटते हैं।

सबसे सुपीरियर डीलक्स क्वालिटी के एहसान फरामोश एहसान करने वाले को जलील करने, उसकी औकात परिभाषित करने का कोई अवसर नहीं चूकते और नए अवसरों की तलाश में रहते हैं। यही डीलक्स क्वालिटी, 'एहसान फरामोश-बिरादरी' का नामरोशन किए हुए है। ऐसे एहसान फरामोश भाग्यशाली लोगों को ही मिलते हैं। ईश्वर ने जीवन दिया है और साथ में एहसान फरामोश भी दिए हैं ताकि आदमी उन पर एहसान करे, एहसान फरामोशी का मजा चखे और एहसान करने की भूल पर पश्चाताप में सर पटक-पटक कर, पानी पी पी कर भगवान को याद करे।

सब कुछ ठीक हो तो बिना वजह कौन उसे याद करने में टाइम खराब करता है। ये बेचारे एहसान फरामोश ही हैं, जो लोगों को भगवान भरोसे जीने के लिए प्रेरित करते हैं, ईश्वर के प्रति आदमी की आस्था को बढ़ाते हैं। एहसान फरामोश द्वारा स्पॉसंर किया आदमी जब मूक क्रंदन करता है कि हे परमपिता, इसने जो कुछ किया इसकी सजा तू इसे दे और मेरे एहसानों की भरपाई भी कर, तब आदमी और भगवान का वन-टू-वन संपर्क हो रहा होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि समाज को धार्मिक बनाने में एहसान फरामोशों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे गुणों के धनी, समाज को अस्त, व्यस्त, त्रस्त बनाए रखने वाले एहसान फरामोशों, कृतघ्नवीरों को उनकी वीरता के सम्मान में साष्टांग प्रणाम!

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