व्यंग्य रचना : जुकरबर्ग का स्वच्छ-फेकबुक-अभियान

रोहित श्रीवास्तव  

हाल में ही फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जब भारत आए तो उनकी मुलाक़ात भारत के नवनिर्वाचित ऊर्जावान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई। यह मुलाक़ात कई मायनों में बड़ी दिलचस्प रही होगी जहां एक तरफ इंटरनेट की सोशल मीडिया के जोशीले बादशाह मार्क जुकरबर्ग थे वही दूसरी तरह भारतीय राजनीति के करिश्माई जादूगर राजनेता नरेंद्र मोदी थे। दोनों ने ही अपने कर्म-क्षेत्र मे मिल का पत्थर साबित होने वाले कुछ ऐसे कार्य किए है जिसके परिणाम दूरगामी होंगे। 


 
प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी सरकार द्वारा गांधी जयंती से शुरू किए गए स्वच्छ-भारत-मिशन के बारे में ‘मार्क’ को बताया। विश्वस्त सूत्रों की माने को फेसबुक के जनक जुकरबर्ग इस स्वच्छता अभियान से काफी प्रभावित दिखे उन्होने मोदी को इसके लिए बधाई भी दी। अचानक से ऊर्जा से भरपूर तेजस्वी चेहरे पर अद्वितीय तेज लिए ‘मार्क’ रहस्यमयी तरीके से मुस्कुरा रहे थे शायद उनके मन मे कोई ‘अद्भुत-ख्याल’ आया था। उधर मोदी जी की भी उत्सुकता बढ़ती सी जा रही थी। 
 
संभवतः उन्हें अपने ‘फेसबुक अकाउंट’ की ज्यादा चिंता होने लगी थी। मोदी की जिज्ञासा को और अग्नि देते हुए मार्क जुकरबर्ग बोले “मोदी जी मेरे दिल में एक ‘ग्रेट’ आइडिया आया है”। “यू आर ग्रेट” “इंडिया इज़ ग्रेट”। 
 
मोदी जी ने सबको चौंकाते हुए कहा “हे जोकरबा बोल बो”। यह सुन कर ‘मार्क’ आनंद के कारण ‘भोजपुरी’ हो गए और बोले “मोदी भैया बात ऐसी है कि आपके स्वच्छता अभियान हमरे मन का भा-गइल बा। फिर से हिंदीमय होते हुए उन्होंने कहा “मोदी जी हम भी अपने फेसबुक के लिए आपके अभियान की तर्ज़ पर ‘फेकबु क क्लीन मिशन’ की शुरुआत करेंगे 
 
जिसके द्वारा फेक आईडी की सफाई कर पुनः ‘डरटी  फेकबुक’ से ‘स्वच्छ फेसबुक’ बनाया जाएगा। यह सुन मोदी जी थोड़ा व्याकुल हो प्रसन्नता से बोले “हां ठीक है। तुम भी कर लो”। बस अपने लोगों का ध्यान रखना। इसी बीच स्वदेश लौट कर मार्क मार्क जुकरबर्ग ने एफ़बीआई माने ‘फेकबुक ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन’ की स्थापना की।

आपको बता दे एफ़बीआई एक ऐसी एजेंसी है जिसमें फेसबुक ने देश-विदेशों से प्रतिभाशाली एवं चुनिन्दा कम्प्यूटर विशेषज्ञ, ‘प्रोग्रामर्स’ और ‘सुंघी हेकर्स’ को हिस्सा बनाया है। सभी ने सुंघी कुत्तों की भांति फेसबुक पर ‘फेक आईडीस’ की पहचान की शुरुआत कर भी कर दी है। 
 
एफ़बीआई की प्रारम्भिक जांच के तथ्य भौंचक्का करने वाले हैं जिसकी तीव्रता का अंदाज़ा आप इससे लगा सकते हैं कि  जांच-पड़ताल के दौरान कई ‘सुंघी जांचधिकारी’ बेहोश होकर ‘जख्मी’ हो गए थे। उनके मन-मस्तिस्क पर मानो गहरा आघात पहुंचा था। यहां तक की उनका इलाज़ करने वाले कुछ डॉक्टर्स को भी ‘होस्पिटलाइज्ड’ करना पड़ा है। 

जानते हैं वो चौंकाने वाली सनसनीखेज बातें जो जांच और बेहोशी के पिटारे से बाहर आई वो भी ‘ग्लूकोज’ सूंघा-पिला के। 
 
* फेसबुक में खुद को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का विद्यार्थी दिखाने वाले ‘कूल हंक’ नामक प्रोफ़ाइल वास्तव में  सीतापुर के ‘राम मनोहर लाल’ का था जो कही से भी ‘कूल’ नहीं दिख रहा। जब एफ़बीआई की टीम ने उनसे इस बाबत पूछताछ की। मनोहर भैया असल में  एक ‘दादाजी’ निकले जिन्होने अपने पोते के प्रोफ़ाइल नेम ‘कूल द्युड’ से प्रेरणा लेकर अपना कूल-हंक नाम का ‘फेक’ प्रोफ़ाइल बनाया था। जांच में मालूम चला महोदय मेट्रिक पास है। इनकी गलती यहां पकड़ी गई कि जो ऑक्सफोर्ड का कॉलेज इन्होंने अपने प्रोफ़ाइल में दर्शाया था सौभाग्यवश उसकी कोई ब्रांच ‘सीतापुर’ में क्या ‘भारत’
मे भी नहीं है। 
 
* कई ऐसे लोग पाए गए जो कभी अपने घर से बाहर नहीं निकले और उन्होने फेकबूक पर अपना चेक-इन कभी अमेरिका तो कभी अफ्रीका तो कभी चाइना दिखाया करते थे। हद तो तब हो गई जब इनमें से कुछ अति-विद्वान लोगों ने अपनी लोकेशन का ‘चेक-इन’ मंगल ग्रह और चांद पर दिखा रखा था। 
 
*  9 बच्चों के अब्बा रशीद मियां ने खुद को ‘सिंगल’ घोषित किया हुआ था। शायद एक और ‘बेगम’ रसीद करने की तलाश मे थे। खैर जब एफ़बीआई ने उनसे पूछताछ की तो मालूम चला बेचारे अपनी पूर्व 3 बेगमों से वह प्यार नहीं पा सके थे जिसे उनकी बचपन से तलाश थी। संभावना थी सभी 9 बच्चे प्रिंट आउट के जरिये दुनिया में अवतरित हुए हो। कलयुग है कुछ भी हो सकता है न। 
 
* खुद को फेसबूक पर आईआईटी का इंजीनियर बताने वाले ‘घनचक्कर प्रसाद’ असलियत में आईटीआई से डिप्लोमा प्राप्त निकले। अपने बचाव में उनका तर्क है की जल्दबाज़ी में ‘टाइपिंग मिस्टेक’ से ITI का IIT हो गया। 
 
* एफ़बीआई की टीम ने एक ऐसे आदमी को धर-दबोचा है जो मार्क जुकरबर्ग के नाम से फेक प्रोफ़ाइल चला रहा था। उसने गलती यह कर दी की अपनी बीवी ‘भाग्यवन्ती देवी’ के दबाव में उसने उसको वाइफ़ के रूप में अपने प्रोफ़ाइल से जोड़ लिया। सुना है असली मार्क जुकरबर्ग ने उस महान आदमी से मिलने की इच्छा जताई है। साइबर क्राइम ब्रांच के लोग भी इससे मिलने को आतुर हैं। कहते हैं न आदमी की जीत के पीछे भी औरत, हार के पीछे भी औरत इसी में एक अध्याय जुडते हुए ‘आदमी की मार’ के पीछे भी औरत। 
 
* ‘स्वीट एंड सेक्सी वाली प्रोफ़ाइल पिक्चर वाली लड़की असल में एक काली-करेठी आंटी थी जिनका आखिरी पति भी उनके नीचे दबे रहने के बाद जान बचा के दुम दबा के भाग खड़ा हुआ था। सूंघी-जांच अधिकारी आश्चर्यचकित थे कि यह महिला अब ‘एफ़बी’ पर अपने लिए ‘दुल्हा’ ढूंढ रही थी या गोद लेने के लिए ‘बेटा’। 
 
* कुछ ऐसे खुराफाती और धूर्त लोगो की भी पहचान की गई है जो लड़की का वेश धारण कर आवाज़ बदल कर लड़कों से अपने फोन का रीचार्ज, बिल का भुगतान, पिज्जा ऑर्डर, गिफ्ट भी मंगवाते थे। यह खबर सुनने के बाद उन लड़कों की गर्लफ्रेंड/पत्नियों को समझ नहीं आ रहा की वह अपने बॉयफ्रेंड/पतियों के चरित्र पर शक करे या उस फेक प्रोफ़ाइल वाले/वाली को ‘सौतना/सौतन’ बोले। 
 
* इसी बीच यह भी खबर आई की जिन लोगों की ‘फेकबुक’ पर बनाई 100 से ज्यादा ऑनलाइन गर्लफ्रेंड ‘मेल’ निकाल आई हैं उन्होंने अपनी ‘फेसबुक आईडी’ के आत्म-दाह करने की कोशिश की है। कुछ लोगो ने अपने लेपटॉप और कम्प्यूटर मे आग लगा कर ‘फेक-दंगे’ फैलाने की भी कोशिश की थी पर एफ़बीआई वालों ने उनके लेपटॉप-कम्प्यूटर एहतियातन के तौर पर हिरासत मे ले लिए है। फेसबुक का ग्रह-मंत्रालय इस पर पैनी नज़र बनाए हुए है। 
 
* एफ़बीआई की टीम ने एक दिलचस्प मामले का खुलासा किया है। बताया जा रहा है आगरा के रहने वाले ‘राजबाबू’ जब दिवाली की रात में अपनी ‘वकील’ वाली आईडी से ‘हैप्पी दिवाली’ का स्टेटस लिख रहे थे तभी उन्हें उनके ‘सेठीयापुर’ नामक गांव से ‘सूंघी जांचधिकारियों’ ने उठा लिया। जांच मे पता चला है कि ‘राजाबाबू’ फिल्म ने इस व्यक्ति के मन-मानस पर एक अलग ही छाप छोडी थी। नतीजतन, इस व्यक्ति ने वकील डॉक्टर,पुलिस,जज,पत्रकार,इंजीनियर से लेकर एक कदम आगे जाते हुए नासा के वैज्ञानिक होने का भी एक फेक प्रोफ़ाइल बनाया था जिसमें उसने अपनी रिसर्च क्षेत्र में ‘दूध से दही’ ‘दही से माखन’ ‘माखन से घी’ बनाने का उल्लेख किया है। 
 
* कुछ धर्मनिरपेक्षी लोगों की भी पहचान हुई है जिन्होंने ‘धर्मनिरपेक्षता की भावना’ का आदर करते हुए राम(हिन्दू), रहीम (मुस्लिम),सुखविंदर (सिख), जोसफ(ईसाई) नामों की फेक आईडी बना कर भाईचारे की अद्भुत मिसाल बनाई है पर दुर्भाग्यवश उन लोगों को एफ़बीआई ने जेल की हवा खिलाई है। 
 
प्राथमिक दौर की जांच से उभर कर आए तथ्य न सिर्फ चौंकाने वाले है बल्कि ‘रुलाने’ के साथ पेट दर्द भर हंसाने वाले हैं। यही कारण है कुछ ‘सूंघी-जांच अधिकारी’ या तो अस्पताल में है या पागलखाने में। बाकी की जांच अभी जारी है। एफ़बीआई के फेकबुक क्लीन मिशन को कामयाबी मिलती नज़र आ रही है। आगे आगे देखिए ‘फेक’ ‘रियल’ होता है क्या? भाई वाह! 
 
 

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