स्वयंभू खोजी पत्रकार हो रहे घोटाले नहीं खोजते, वो मात्र हो चुके घोटाले ढूंढकर परोसते हैं। जब पैसा बंट चुका होता है और चट चुका होता है, सारे सबूत और गवाह ठिकाने लगाए जा चुके होते हैं और घोटालिए आप्रवासन खिड़की से सील-ठप्पा लगवाकर ससम्मान विदेश पंहुच जाते हैं, तब कुंभकर्ण जाग्रत होता है। 'मुझे भूख लगी है, भोजन दो' के स्वर से सारा प्राइम टाइम गूंज उठता है। और फिर नए-नए पकवान बनाकर जठराग्नि को शांत किया जाएगा। जनता के लिए यह तत्वरहित जंकफूड है, जो चटपटा स्वाद तो देता है, पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। घपलों को अनदेखा करना भी एक घोटाला है। और फिर चीख-चीखकर स्वयं को देश का हिमायती बताना एक षड्यंत्र है।