लोहड़ी के दिन गांव के लड़के-लड़कियां अपनी-अपनी टोलियां बनाकर घर-घर जाकर लोहड़ी के गाने गाते हुए लोहड़ी मांगते हैं। इन गीतों में दुल्ला भट्टी का गीत 'सुंदर, मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो...', 'दे माई लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी', 'दे माई पाथी तेरा पुत्त चड़ेगा हाथी' आदि प्रमुख हैं। लोग उन्हें लोहड़ी के रूप में गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, तिल या फिर पैसे भी देते हैं।