पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर धराशायी होते रहे हैं दिग्गज

बुधवार, 3 अप्रैल 2019 (18:55 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की सात लोकसभा सीटों में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली पूर्वी दिल्ली लगातार किसी दल का गढ़ नहीं बनी और यहां हुए 13 आम चुनाव में कांग्रेस को छह बार, भाजपा को पांच बार, एक बार जनसंघ और एक मर्तबा लोकदल के उम्मीदवार ने जीत हासिल की।
 
पिछले चुनाव से पहले तक मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच रहता था, किंतु आम आदमी पार्टी (आप) के उदय के बाद 2014 के चुनाव में कांग्रेस यहां हाशिए पर चली गई। पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट 1966 में अस्तित्व में आई और 1967 में यहां पहली बार चुनाव हुआ। अनधिकृत कालोनियों की भरमार वाली इस सीट पर शुरू में वोटरों की संख्या बहुत कम थी। कालोनियों के निरंतर बसने से आबादी भी तेजी से बढ़ती गई। शुरू के चुनावों में यहां विजयी उम्मीदवार को कुल मिले वोटों की संख्या हजारों में थी, लेकिन बाद में इस सीट पर लाखों में जीत-हार का फैसला होने लगा।
 
वर्ष 1967 में इस सीट पर हुए पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ के हरदयाल देवगन ने 83 हजार 261 मत हासिल कर कांग्रेस के बी. मोहन (77645) को हराया। वर्ष 1971 के चुनाव में देवगन को कांग्रेस के हरकिशन लाल भगत ने हराया। भगत के एक लाख 46 हजार 632 की तुलना में देवगन के खाते में आधे से भी कम 72 हजार 382 वोट ही पड़े। वर्ष 1977 में भारतीय लोकदल के किशोरी लाल एचकेएल भगत को हराकर लोकसभा पहुंचे।
 
उन्हें भगत के 1 लाख 07 हजार 487 मतों की तुलना में 2 लाख 40 हजार 594 मत मिले। इन चुनाव के बाद कांग्रेस में विभाजन हो गया और पार्टी का नाम कांग्रेस (आई) हो गया।
 
वर्ष 1977 के चुनाव के बाद भगत ने अनधिकृत कालोनियों का मुद्दा उठाकर अपनी पैठ बनाई और उन्हें पूर्वी दिल्ली का बेताज बादशाह भी कहा जाने लगा। वर्ष 1980 के चुनाव में भगत ने हार का बदला लेते हुए लाल को परास्त किया। इस बार लाल ने जेएनपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भगत को 228727 और लाल को 141019 मत मिले। 
 
भगत और लाल का एक बार फिर 1984 में आमना-सामना हुआ और जीत भगत की झोली में गिरी। मतों की संख्या बढ़ने के साथ साथ चुनाव लड़ने वालों की संख्या में भी इजाफा होता गया। इस चुनाव में 42 उम्मीदवार मैदान में थे। भगत ने 3 लाख 86 हजार 150 मत हासिल कर जोरदार जीत दर्ज की। लाल केवल 73 हजार 970 वोट ही हासिल कर पाए।
 
वर्ष 1989 के चुनाव में भगत ने निर्दलीय चांदराम को परास्त किया। इस प्रकार 1980 से 1989 के दौरान हुए तीन चुनाव में भगत ने कांग्रेस की झोली में इस सीट को डाला। इस चुनाव में बसपा के संस्थापक कांशीराम भी मैदान में थे, किंतु वह 81 हजार 95 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे और जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले लाल को 37 हजार 925 वोट ही मिल पाए और वह चौथे स्थान पर खिसक गए।
       
भाजपा ने 1991 में बैंकुठ लाल शर्मा ‘प्रेम’ को मैदान में उतारा और राम लहर में उन्होंने इस सीट पर भगत को 61 हजार 725 मतों से पछाड़ कर उनकी बादशाहत को खत्म कर दिया। इस चुनाव की खासियत यह रही कि 105 उम्मीदवार मैदान में थे। मजे की बात यह रही कि जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े रामबीरसिंह विधूड़ी ने एक लाख 58 हजार 712 मत हासिल कर बसपा प्रमुख को चौथे स्थान पर धकेल दिया। कांशीराम को महज 10 हजार 428 वोट ही मिले।
         
वर्ष 1996 के चुनाव में अपनी जीत को दोहराते हुए भाजपा के प्रेम ने कांग्रेस के दीपचंद बंधु को हराया। इस चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या 1967 के तीन उम्मीदवारों के मुकाबले 122 पर पहुंच गई। इसके बाद 1997 में हुए उपचुनाव में अशोक कुमार वालिया को भाजपा के लाल बिहारी से शिकस्त मिली। वर्ष 1998 के चुनाव में शीला दीक्षित को भाजपा के लाल बिहारी तिवारी ने हराया। वर्ष 1999 में हुए चुनाव में श्री तिवारी ने तीसरी बार जीत हासिल करते हुए कांग्रेस के एचएल कपूर को हराया।
 
संदीप दीक्षित ने 2004 में तीन बार के सांसद तिवारी को धूल चटाई और 2009 में फिर कांग्रेस का परचम लहराया। इस बार दीक्षित ने भाजपा के चेतन चौहान को पटखनी दी, किंतु 2014 के आम चुनाव में वह भाजपा के महेश गिरी से हार गए। वर्ष 2014 की मोदी लहर में भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटों पर कब्जा किया था। पिछले चुनाव गिरी ने आप के राजमोहन गांधी को एक लाख 90 हजार 463 मतों से हराया था। गिरी को पांच लाख 72 हजार 202 और गांधी को तीन लाख 81 हजार 739 वोट मिले और दो बार के लगातार सांसद रहे दीक्षित दो लाख तीन हजार 240 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
         
पूर्वी दिल्ली में नगर निगम के 40 वार्ड आते हैं। इस क्षेत्र में दिल्ली विधानसभा की 10 सीटें पटपड़गंज, लक्ष्मी नगर, विश्वास नगर, कोंडली, कृष्णा नगर, गांधी नगर, शाहदरा, ओखला, त्रिलोकपुरी और जंगपुरा हैं। कांग्रेस और भाजपा ने अभी इस सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जबकि आप ने काफी पहले ही आतिशी को उम्मीदवार घोषित कर दिया है और वह जोरशोर से चुनाव प्रचार में जुट गई हैं।
 
इस बार के चुनाव में मतदाताओं की संख्या 18 लाख 29 हजार 177 से बढ़कर 19 लाख 70 हजार 118 पर पहुंच गई है। कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाता 10 लाख 94 हजार 362 और महिला मतदाता आठ लाख 75 हजार 656 है, जबकि 100 अन्य मतदाता हैं। (वार्ता)

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