पार्टी ने अब तक सूबे की 29 सीटों में से 22 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है। जिसमें प्रदेश में कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, विवेक तनखा और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के नाम तो शामिल है। लेकिन नहीं शामिल है पार्टी के वर्तमान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम। इस बार लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया किस सीट से चुनाव लड़ेंगे उसको लेकर जितना सस्पेंस बना है उतना संभवत मध्य प्रदेश की सियासत में कभी किसी नेता को लेकर नहीं रहा है।
एक ओर मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावारिया कहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत सीट गुना- शिवपुरी से ही चुनाव लड़ेंगे लेकिन पार्टी उनकी उम्मीदवारी का एलान नहीं करती। इसके पीछे पार्टी की कोई रणनीति है या सिंधिया की सीट को लेकर पार्टी में कोई कन्फ्यूजन। ये दो सवाल खड़े हो रहे हैं।
इसके साथ ही एक दिलचस्प बात ये हैं कि पार्टी भले ही सिंधिया की सीट को लेकर कोई फैसला नहीं कर रही तो दूसरी तरफ सिंधिया अपने संसदीय क्षेत्र में लगातार दौरे कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में सिंधिया को उनके संसदीय क्षेत्र गुना- शिवपुरी के साथ ही ग्वालियर और इंदौर से भी चुनाव लड़ाए जाने की अटकलें काफी लंबे समय से लगाई जा रही है। वहीं पार्टी की दूसरी सूची में भी नाम नहीं घोषित होने पर सिंधिया ने कहा कि उनकी सीट का फैसला पार्टी आलाकमान करेगा और पार्टी जहां से कहेगी वहां से चुनाव लड़ेंगे।
ऐसे में लगातार अलग अलग बयानों से ये सवाल उठना लाजिमी है कि सिंधिया की सीट पर सस्पेंस बनाए रखना पार्टी की कोई रणनीति है या कांग्रेस की कन्फ्यूजन पॉलिटिक्स। अगर रणनीति की बात करें तो पार्टी शायद अपने इस बड़े चेहरे को किसी ऐसी सीट जो बीजेपी के कब्जे में हो वहां से उतारने का प्लान कर रही हो जिसमें इंदौर जैसी सीट भी शामिल है।