लालू ने अपनी आगामी किताब गोपालगंज टू रायसीना: माई पॉलिटिकल जर्नी किताब में लिखा है, 'किशोर ने इस बात के संकेत दिए थे कि जदयू को भाजपा से हटाकर महागठबंधन में शामिल कर लिया जाए। मेरे मन में नीतीश के प्रति कोई कड़वाहट नहीं है। मैं उनमें पूरी तरह से विश्वास खो चुका था। मुझे इस बात का यकीन नहीं था कि 2015 में जिन लोगों ने महागठबंधन के लिए वोट किया था और जो पार्टियां भाजपा के खिलाफ एकजुट हुई थीं वह किस तरह की प्रतिक्रिया देतीं यदि मैं प्रशांत किशोर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता।'
हालांकि जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने लालू के उस दावे को खारिज किया है जिसमें कहा गया था कि नीतीश ने दोबारा महागठबंधन में जाने की कोशिश की थी। त्यागी ने कहा कि अगर नीतीश की ऐसी कोई इच्छा होती तो यह पार्टी की आंतरिक बातचीत में जरूर होती। जदयू का राजद को अस्वीकार कर देना स्थायी था और नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर समझौता कर लेने वाले आखिरी व्यक्ति होते। इसी कारण लालू के सभी दावे झूठे हैं।'